केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV) के विकास को मंजूरी दे दी, जिसकी पेलोड क्षमता (भार ले जाने की क्षमता) इसरो के लॉन्च व्हीकल मार्क-3 की तुलना में तीन गुना अधिक है। उसने NGLV के विकास, तीन विकासात्मक उड़ानों, आवश्यक सुविधा, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान के लिए 8,240 करोड़ रुपये आवंटित किए।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय चालक दल के उतरने की क्षमता विकसित करने के भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इसमें कहा गया है कि एनजीएलवी में प्रक्षेपण यान मार्क-3 (LVM3) की तुलना में तीन गुना अधिक पेलोड क्षमता होगी और लागत 1.5 गुना अधिक होगी।
साथ ही कहा गया है कि आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य (reusable) प्रक्षेपण यान अंतरिक्ष तक कम लागत में पहुंच प्रदान करेगा। NGLV का प्रदर्शन तीन विकास उड़ानों के साथ किया जाएगा। सरकार ने विकास चरण को पूरा करने के लिए 96 महीने (8 वर्ष) का लक्ष्य रखा है।