कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर में हिंसा के मामले को लेकर सोमवार को कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मणिपुर की बात’ सुनने का इंतजार कर रहा है और सबसे पहले उन्हें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को उनके पद से बर्खास्त करना चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से यह आग्रह भी किया कि मणिपुर में सभी पक्षों से बातचीत करके साझा राजनीतिक समाधान निकाला जाए। खरगे ने ट्वीट किया, ‘ऐसी खबर है कि आखिरकार मणिपुर पर गृहमंत्री (अमित शाह) ने प्रधानमंत्री मोदी जी से बात की है। पिछले 55 दिनों से मोदी जी ने मणिपुर पर एक शब्द नहीं कहा। पूरा देश उनकी ‘मणिपुर की बात’ सुनने का इंतज़ार कर रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर मोदी जी सही में मणिपुर के बारे में कुछ भी सोचते हैं तो सबसे पहले अपने मुख्यमंत्री को बर्खास्त कीजिए। उग्रवादी संगठनों व असामाजिक तत्वों के पास से हथियार जब्त करें। सभी पक्षों से बातचीत शुरू करें और साझा राजनीतिक रास्ता निकाला जाए। सुरक्षा बलों की मदद से नाकेबंदी खत्म करें।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी से यह आग्रह भी किया, ‘राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलकर और सुरक्षित कर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें। प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए। घोषित राहत पैकेज अपर्याप्त है।’
खरगे ने कहा, ‘भाजपा और मोदी सरकार का कोई भी दुष्प्रचार, मणिपुर हिंसा में उनकी घोर विफलताओं पर पर्दा नहीं डाल सकता।’ मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मैतेई समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है। भाषा
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा की बदलती प्रकृति पर चिंता जताई है। खबरों के अनुसार शाह इंफाल घाटी के बाहरी क्षेत्रों में हिंसा के बाद अब जिलों में नागरिकों के बीच अशांति फैलने को लेकर चिंतित हैं।
रविवार देर रात नई दिल्ली से लौटने के बाद इंफाल में सिंह ने कहा, ‘बाहरी क्षेत्रों में गोलीबारी से लेकर घाटी के जिलों में नागरिक असंतोष तक, हिंसा की बदलती प्रकृति अमित शाह जी के लिए चिंता का विषय बन गई है।’
सिंह ने नई दिल्ली में शाह को मणिपुर के ‘ताजा हालात’ के बारे में जानकारी दी और कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार हिंसा को ‘काफी हद तक’ नियंत्रित करने में सफल साबित हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया, ‘शाह ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह और राज्य के मंत्री सुशींद्रो मेइती के घरों पर हमले, सरकारी संपत्तियों में आगजनी एवं तोड़फोड़ तथा सुरक्षा बलों की आवाजाही को बाधित किए जाने जैसे मुद्दे उठाए।’ सिंह ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट सौंपी।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हिंसा का शुरुआती दौर बेहद संवेदनशील और राजनीति से प्रेरित था, लेकिन अब क्या हो रहा है, हम नहीं कह सकते। स्थिति बहुत अराजक है।’ उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
सिंह ने कहा, ‘यह सभी हितधारकों, नागरिक निकायों, विधायकों और राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए एक साथ बैठने तथा उन पहलुओं की पहचान करने का समय है, जिन पर सभी को काम करना चाहिए।’
शाह और सिंह की मुलाकात मणिपुर के हालात को लेकर नयी दिल्ली में गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के एक दिन बाद हुई। तीन घंटे तक चली इस बैठक में 18 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, पूर्वोत्तर के चार सांसदों और क्षेत्र के दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया था।