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Truck drivers’ strike: ट्रक हड़ताल से सब्जियां महंगी, पेट्रोल-डीजल की किल्लत

हिट ऐंड रन यानी टक्कर के कारण मौत होने पर भाग जाने के मामलों में पहले से सख्त सजा के विरोध में ट्रक चालकों ने अपनी हड़ताल तेज कर दी

Last Updated- January 02, 2024 | 11:11 PM IST
Truck driver Strike

Truck drivers’ strike: हिट ऐंड रन यानी टक्कर के कारण मौत होने पर भाग जाने के मामलों में पहले से सख्त सजा के विरोध में ट्रक चालकों ने अपनी हड़ताल तेज कर दी, जिसके कारण आज देश भर में सब्जियों के भाव चढ़ गए और पेट्रोल पंप पर ईंधन की किल्लत होने लगी। पिछले दिनों पारित भारत न्याय संहिता में लापरवाही से किसी को गंभीर दुर्घटना का शिकार बनाने वाले चालकों पर सख्ती के प्रावधान हैं, जिनका विरोध किया जा रहा है।

हालांकि सरकार भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल को रोकने और उसका असर सीमित करने के लिए भरसक कोशिश कर रही है। गृह सचिव अजय भल्ला ने ट्रक मालिकों और ट्रांसपोर्टरों के साथ शाम को बैठक बुलाई मगर खबर लिखे जाने तक हड़ताल वापस लेने जैसा कोई फैसला नहीं आया।

हालांकि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि टक्कर मारकर भागने के मामलों में सजा के नए और सख्त प्रावधान वापस लिए जाने की मांग के समर्थन में राष्ट्रव्यापी हड़ताल की उसने कोई अपील अभी तक नहीं की है। लेकिन उसने बताया कि 60-70 फीसदी ट्रक अब सड़कों से गायब हैं।

ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का असर राजधानी दिल्ली में दिखने भी लगा है। महाराष्ट्र से आपूर्ति कम रहने के कारण यहां आजादपुर मंडी में प्याज के थोक भाव करीब 51 फीसदी चढ़ गए। आजादपुर मंजी से थोक कारोबारी सुरिंदर बुद्धिराजा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘रोजाना करीब 60-70 छोटे-बड़े ट्रक आजादपुर मंडी आते हैं। मगर पिछले कुछ दिन से बमुश्किल 20-25 ट्रक आ रहे हैं।’ उनका कहना है कि दूरदराज से लाई जाने वाली सभी सब्जियों की आवक हड़ताल के कारण पहले से काफी कम हो गई है।

भारतीय दंड संहिता के स्थान पर लागू हुई भारतीय न्याय संहिता कहती है कि यदि किसी के लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण गंभीर दुर्घटना और मौत होती है तथा वह पुलिस या किसी अधिकारी को इत्तला किए बगैर मौके से फरार हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति को 10 साल तक सजा दी जा सकती है या 7 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

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पहले ऐसे मामलों में 2 साल तक की ही सजा थी। हालांकि नई संहिता में भी कहा गया है कि दुर्घटना और मौत की सूचना किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को हादसे के फौरन बाद दी जाए तो उसे कम सजा मिलेगी। सरकार का कहना है कि उच्चतम न्यायाल के कहने पर ही प्रावधान सख्त किए गए हैं और ये हर प्रकार के वाहन पर लागू होते हैं।

बहरहाल नए कानून के प्रावधानों का विरोध करते हुए महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर में ट्रक चालक हड़ताल कर रहे हैं। इन राज्यों से स​ब्जियों और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पूरे देश में होती है।

राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने आशंका जताई है कि ‘जबरन वसूली नेटवर्क’ और ‘संगठित भ्रष्टाचार’ में इस कानून का दुरुपयोग हो सकता है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर गरीबों को परेशान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश प्रभावित हो सकता है।

जहां तक मुंबई का सवाल है तो मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर) में चलने वाले करीब 1.2 लाख ट्रकों, टेम्पो और कंटेनरों में से करीब 70 फीसदी वाहन सोमवार को सड़कों से नदारद थे। हालांकि आज कुछ ट्रक और तेल कंटेनर पेट्रोल पंपों पर ईंधन भरवाने के लिए पहुंचे।

भिवंडी के बेड़ा ऑपरेटर उपासम रोडलाइंस के पीके सिंह ने कहा कि अगर वाहनों का परिचालन करना भी चाहते तो पेट्रोल पंपों पर ईंधन उपलब्ध नहीं था। उन्होंने कहा, ‘मेरे चार ट्रक नागपुर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में राजमार्गों पर फंसे हुए हैं। फिलहाल ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि यह हड़ताल कब खत्म होगी। ड्राइवर स्वाभाविक रूप से इस मुद्दे का समर्थन कर रहे हैं।’

तीन दिनों की इस हड़ताल का देश भर में ईंधन, फल एवं सब्जियों की आपूर्ति पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। उसका असर आगामी दिनों में महसूस किया जाएगा। मुंबई के पूर्वी इलाके मुलुंड की फल विक्रेता प्रीति अनाम ने कहा कि उन्हें थोक बाजार और वाशी एपीएमसी से स्टॉक उठाते समय काफी कठिनाइयों से जूझना पड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘अगले कुछ दिनों में स्टॉक उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन कीमतें बढ़ जाएंगी और बर्बाद होने के कारण फलों की गुणवत्ता घट जाएगी।’ मुंबई में ट्रकों एवं अन्य वाणिज्यिक वाहनों बेड़े में करीब 1.5 लाख ड्राइवर काम करते हैं। खबरों के अनुसार, करीब 35 फीसदी भारी वाहन पेट्रोल एवं रसोई गैस सहित आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करते हैं। केवल मुंबई महानगरीय क्षेत्र को ही इस हड़ताल के कारण 120 से 130 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।

मुंबई के बेड़ा ऑपरेटर एवं ट्रांसपोर्ट ठेकेदार पूजा ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के विजय शर्मा ने उम्मीद जताई कि अगले कुछ दिनों में स्थिति बेहतर होगी क्योंकि इस मुद्दे पर ‘राजनीति’ गरमाने लगेगी। मुंबई में इस हड़ताल के कारण पेट्रोल पंप बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पेट्रोल पंपों पर ईंधन भरवाने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी हुई हैं।

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मध्य मुंबई के एक डीलर रवि शिंदे ने कहा, ‘हमारे आसपास के अन्य पेट्रोल पंपों पर ईंधन खत्म हो गया है। हमारे यहां भी शाम तक ईंधन खत्म हो जाएगा।’ अब तक तीनों सरकारी तेल विपणन कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। एक तेल विपणन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आज किसी तरह काम चल जाएगा, लेकिन यदि हड़ताल कल भी जारी रही तो वह चिंता की बात होगी।’

उद्योग जगत से जुड़े एक अन्य व्यक्ति पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहते हैं, ‘हमारा अनुमान है कि तमाम राज्यों में हालात में बेहतरी आएगी।’ अपनी बात को विस्तार न देते हुए वह यह अवश्य जोड़ते हैं कि सरकारी अधिकारी और मंत्रालय इस बात से अवगत हैं कि ईंधन एक अनिवार्य जिंस है। पश्चिम बंगाल में बीते दो दिनों में नए पारित कानून के प्रावधानों के खिलाफ छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुआ है। पश्चिम बंगाल ट्रक संचालक महासंघ के महासचिव सजल घोष ने कहा कि बीते दो दिनों में हुगली तथा हावड़ा में नए नियमों को लेकर छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुआ है।

रविवार को सैकड़ों ट्रकों तथा वाणिज्यिक वाहनों ने पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में डंकुनी टोल प्लाजा के निकट राजमार्ग जाम कर दिया जिससे हालात बिगड़ गए। घोष ने कहा कि बुधवार को होने वाली बैठक में भविष्य की कार्य योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में हम कल एक बैठक करेंगे ताकि यह तय कर सकें कि विरोध प्रदर्शन जारी रखना है या नहीं।’ बहरहाल, उन्होंने कहा कि अब तक जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई है।

बड़ाबाजार में जल्द खराब होने वाली चीजों के छोटे बाजार पोस्ता बाजार में इस विरोध का असर अब तक देखने को नहीं मिला है। पोस्ता बाजार व्यापारी संघ के महासचिव विश्वनाथ अग्रवाल ने कहा, ‘हमारे पास पर्याप्त भंडार है इसलिए अब तक कोई असर नहीं हुआ है। परंतु अगर यह सिलसिला 15-20 दिन चलता रहा तो जरूर असर होगा।’ पोस्ता बाजार से रोज 200-300 ट्रकों का आवागमन होता है जो खाद्य तेल, नमक, अनाज और मसालों आदि की ढुलाई करते हैं। पश्चिम बंगाल में खपने वाले लगभग 30 फीसदी माल की आपूर्ति यहीं से की जाती है।

राष्ट्रीय राजधानी में सब्जियों के कारोबार से जुड़ी एक शीर्ष सहकारी संस्था के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मेरा आकलन है कि जिन सब्जियों को दूर से आजादपुर लाया जाता है उनकी कीमत बढ़ी है जबकि मंडी के करीब से आने वाली सब्जियों मसलन फूल गोभी आदि की कीमत कम हुई है क्योंकि गतिविधियां ठप हैं।’

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आजादपुर एपीएमसी के सदस्य अनिल मल्होत्रा ने आरोप लगाया कि जल्द खराब होने वाली वस्तुएं ढोने वाले ट्रांसपोटरों के कारण सड़कों पर गंदगी नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि कई बार ट्रांसपोर्टर ट्रक मालिकों को एक पाली का सामान समय पर पहुंचाने के लिए 30,000 रुपये तक का इनाम देते हैं।

इसकी वजह से वाहन चालक तेज गति से वाहन चलाते हैं और सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते जिसके चलते दुर्घटनाएं होती हैं। मल्होत्रा ने कहा, ‘हमें व्यवस्था में कुछ और अनुशासन पैदा करने की आवश्यकता है और यह काम केवल कानून की मदद से किया जा सकता है।’

इस बीच मुंबई में एफएमसीजी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने आशंका जताई कि अगर ट्रकों की हड़ताल जारी रहती है तो उनकी आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा। पार्ले प्रॉडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी के प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘अभी जब हम बात कर रहे हैं तो हमें कोई ठोस असर देखने को नहीं मिला है। लेकिन हालात ऐसे ही बने रहे तो वस्तुओं के आवागमन पर असर होगा।’

(नई दिल्ली से संजीव मुखर्जी, मुंबई से सोहिनी दास, अमृता पिल्लै एवं शार्लीन डिसूजा और कोलकाता से ईशिता आयान दत्त)

First Published - January 2, 2024 | 11:11 PM IST

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