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प्रयागराज महाकुंभ में 5,000 से अधिक नागा सन्यासियों की नई फौज अखाड़ों में शामिल होगी, परंपरा का हुआ भव्य शुआरंभ

प्रायगराज के महाकुंभ नगर के सेक्टर 20 में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में नागा संन्यासियों की फौज में नई भर्ती का सिलसिला शुरू हो गया है।

Last Updated- January 19, 2025 | 8:18 PM IST
More than 5000 Naga Sanyasis to be added in Akhadas this Mahakumbh. Process begins प्रयागराज महाकुंभ में 5,000 से अधिक नागा सन्यासियों की नई फौज अखाड़ों में शामिल होगी, परंपरा का हुआ भव्य शुआरंभ

Mahakumbh 2025: शैव सन्याशियों के सबसे बड़े जूना अखाड़ों में पहले चरण में 1,500 से अधिक नागा सन्यासियों का दीक्षा संस्कार कराया गया है। प्रायगराज के महाकुंभ नगर के सेक्टर 20 में सनातन धर्म के 13 अखाड़ों में नागा संन्यासियों की फौज में नई भर्ती का सिलसिला शुरू हो गया है। गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा संन्यासी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है जिसमें निरंतर नागाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई।

अखाड़ों की छावनी की जगह सेक्टर 20 में गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्री महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है। पहले चरण में 1,500 से अधिक अवधूत को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है। नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा सबसे आगे है जिसमे अभी 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी हैं।

उन्होंने बताया कि नागा संन्यासी केवल कुंभ में बनते हैं वहीं उनकी दीक्षा होती है। सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है। उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। यह प्रकिया महाकुंभ में होती है जहां वह ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है।

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महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि नागा सन्यास की दीक्षा देने के लिए महाकुंभ में गंगा किनारे उनका मुंडन कराने के साथ 108 बार महाकुंभ की नदी में डुबकी लगवाई जाती है। अन्तिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है। अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं। प्रयाग के महाकुंभ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।

First Published - January 19, 2025 | 8:18 PM IST

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