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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो की हत्या

Last Updated- December 11, 2022 | 5:42 PM IST

जापान के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेताओं में शुमार पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शुक्रवार को एक चुनावी सभा के दौरान, भाषण देने के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई। अस्पताल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि आबे (67) को देश के पश्चिमी हिस्से के नारा में शुक्रवार को भाषण शुरू करने के कुछ मिनटों बाद हमलावर ने पीछे से गोली मार दी। आबे को विमान से एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी सांस नहीं चल रही थी और उनकी हृदय गति रुक गयी थी। ‘ब्लड ट्रांसफ्यूजन’ समेत आपात उपचार के प्रयास के बाद अस्पताल ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने घटनास्थल पर ही संदिग्ध हमलावर को गिरफ्तार कर लिया।
दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माने जाने वाले जापान में इस घटना ने लोगों को स्तब्ध कर दिया है, जहां बंदूक नियंत्रण संबंधी कड़े कानून हैं। आबे को राजनीति विरासत में मिली थी और वह अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री नोबुसुके किशी के मार्गदर्शन में आगे बढ़े। आबे ने देश को सैन्य रूप से ज्यादा ताकतवर बनाने तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों में देश की बड़ी भूमिका पर ध्यान दिया। स्वास्थ्य कारणों से दो साल पहले पद से हटने से पूर्व आबे ने जापान की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया और राष्ट्र के लिए एशिया में एक मजबूत भूमिका निभाने के प्रयासों का नेतृत्व किया। जापान के लोक प्रसारक ‘एनएचके’ के मुताबिक घटना के बाद प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और उनके कैबिनेट मंत्री देशभर में अन्य प्रचार अभियानों को बीच में रोक कर तोक्यो लौट आए। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस हमले को ‘कायराना और बर्बर’ करार दिया। आबे पर हमले से भावुक किशिदा ने कहा, ‘मैं कड़े से कड़े शब्दों में इस कृत्य की निंदा करता हूं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगी। साथ ही, उन्होंने कहा कि आबे को शीर्ष स्तर की सुरक्षा मिली हुई थी। किशिदा ने रविवार को कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव कराने का संकल्प लिया।
नारा मेडिकल यूनिवर्सिटी के आपातकालीन विभाग के प्रमुख हिदेतादा फुकुशिमा ने कहा कि हमले में आबे के दिल को बड़ा नुकसान हुआ, साथ ही गर्दन में जख्म के दो निशान बन गए। धमनी क्षतिग्रस्त हो जाने से काफी रक्तस्राव हुआ। फुकुशिमा ने कहा कि जब आबे को अस्पताल लाया गया तो उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और उनके महत्त्वपूर्ण अंग फिर से सक्रिय नहीं हो पाए। आबे 2020 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इस्तीफा देने से पहले, देश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। आबे ने इसाकू सातो के रिकॉर्ड को तोड़ा जो 1964 से 1972 तक 2798 दिन प्रधानमंत्री रहे।
‘एनएचके’ ने घटना का एक फुटेज प्रसारित किया है, जिसमें नारा में एक मुख्य ट्रेन स्टेशन के बाहर आबे भाषण देते हुए दिख रहे हैं। जब गोली चलने की आवाज सुनी गई तो आबे खड़े थे, उन्होंने गहरे नीले रंग के कपड़े पहने हुए थे और मुठ्ठी बांधे अपना हाथ ऊपर उठा रहे थे। इसके बाद फुटेज में आबे सड़क पर गिरते और कई सुरक्षाकर्मी उनकी ओर भागते दिखे। उन्होंने अपने सीने पर हाथ रखा हुआ था और उनकी कमीज पर खून लगा हुआ था। फुटेज में नजर आया कि इसके अगले क्षण ही सुरक्षाकर्मियों ने स्लेटी रंग की कमीज पहने एक व्यक्ति को दबोच लिया। जमीन पर एक बंदूक भी गिरी हुई दिखायी दी। नारा की पुलिस ने हत्या की कोशिश के लिए एक संदिग्ध को गिरफ्तार किए जाने की पुष्टि की और उसकी पहचान तेत्सुया यामागामी (41) के तौर पर की।
‘एनएचके’ ने बताया कि संदिग्ध 2000 में तीन साल के लिए ‘मेरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स’ में सेवाएं दे चुका है। एक अन्य फुटेज में चुनाव प्रचार अधिकारियों को अपने लोकप्रिय नेता के आसपास इकट्ठा होते देखा गया। आबे सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रभावशाली नेता थे और वह उसके सबसे बड़े धड़े सेइवकाई का नेतृत्व करते थे। आबे का वर्तमान प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की नीतियों पर भी बड़ा प्रभाव था, जिसमें युद्धक क्षमता सहित सैन्य क्षमता को बढ़ाने पर जोर दिया गया। विपक्षी दलों के नेताओं ने हमले की निंदा करते हुए इसे जापान के लोकतंत्र के लिए चुनौती बताया। घटना के बाद तोक्यो में, लोग अखबारों के अतिरिक्त संस्करण लेने या टीवी कवरेज देखने के लिए सड़क पर रुक गए। आबे ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनकी एक पुरानी बीमारी ‘अल्सरेटिव कोलाइटिस’ फिर से उभर आई है। आबे ने उस समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए ‘परेशान करने वाली बात’ है। उन्होंने वर्षों पहले उत्तर कोरिया द्वारा अगवा किए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद और जापान के युद्ध त्यागने वाले संविधान के संशोधन के मुद्दों को हल करने में अपनी नाकामी की बात की थी। दुनिया भर के नेताओं ने इस हमले की निंदा की है।
आबे 2006 में 52 साल की उम्र में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनका पहला कार्यकाल एक साल बाद अचानक समाप्त हो गया। आबे जब 2012 में फिर से प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, राजकोषीय प्रोत्साहन, मौद्रिक सुगमता और ढांचागत सुधारों पर जोर दिया। आबे ने छह राष्ट्रीय चुनाव जीते और जापान की रक्षा भूमिका और क्षमता तथा अमेरिका के साथ इसके सुरक्षा गठबंधन को मजबूत करते हुए सत्ता पर मजबूत पकड़ बनाई। आबे के अति-राष्ट्रवाद वाले दृष्टिकोण ने कोरिया और चीन को भी नाराज कर दिया और रक्षा मुद्दों पर जापान के रुख की कई लोगों ने आलोचना की। आबे के समर्थकों का कहना है कि उनके कार्यकाल में अमेरिका-जापान के मजबूत संबंधों के कारण जापान की रक्षा क्षमता में काफी बढ़ोतरी हुई। हालांकि, रक्षा क्षेत्र के लिए अपने लक्ष्यों पर जोर देने और अन्य विवादित मुद्दों पर आगे बढ़ने से कई नेता आबे के खिलाफ हो गए।
समर्थकों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर जापान के दबदबे को बढ़ाने के आबे के प्रयासों और चीन के उभार का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले लोकतांत्रिक देशों की नई व्यवस्था के लिए उनके प्रस्ताव का जिक्र किया, जिसे वाशिंगटन और अन्य ने समर्थन दिया था। आबे के कार्यकाल में ही पहली बार तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा परमाणु बम हमले के शिकार हुए शहर हिरोशिमा गए थे। आबे ने तोक्यो को 2020 ओलंपिक की मेजबानी भी दिलायी। अमेरिका-जापान संबंधों को मजबूत करने के लिए वाशिंगटन में आबे की प्रशंसा की गई, जिसे उन्होंने जापान की रक्षा क्षमता को मजबूत करने के साधन के रूप में देखा। चीन और उत्तर कोरिया के साथ तनाव के बीच जापान इस क्षेत्र में 50,000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती में मदद करता है।     भाषा

‘प्रिय मित्रों’ में से एक शिंजो आबे के निधन से दुखी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन पर गहरा शोक जताया और कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन जापान और दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने में समर्पित कर दिया। मोदी ने आबे के प्रति गहरे सम्मान के प्रतीक के तौर पर 9 जुलाई को एक दिन का राष्ट्रीय शोक रखे जाने की भी घोषणा की। ट्विटर पर अपनी भावुक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि अपने हालिया जापान दौरे पर उनकी मुलाकात आबे से हुई थी और उनसे कई मुद्दों पर चर्चा का अवसर मिला था लेकिन ‘मुझे तनिक भी अंदाजा नहीं था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी।’
मोदी ने कहा, ‘मेरे प्रिय मित्रों में शुमार शिंजो आबे के दुखद निधन से मैं हैरान और दुखी हूं और इसे व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। वह एक शीर्ष वैश्विक राजनेता, एक उत्कृष्ट नेता और एक अद्भुत प्रशासक थे। उन्होंने जापान और विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।’ मोदी ने कहा कि आबे के साथ उनके वर्षों पुराने संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब से मैं उन्हें जानता था और हमारी दोस्ती मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद भी जारी रही। अर्थव्यवस्था और वैश्विक मामलों पर उनकी तीक्ष्ण अंतर्दृष्टि ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी।’ मोदी ने कहा कि आबे ने भारत-जापान संबंधों को विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर पर ले जाने में अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा, ‘आज जापान के साथ पूरा भारत भी उनके निधन से शोक में डूब गया है। हम दुख की इस घड़ी में अपने जापानी भाइयों और बहनों के साथ मजबूती से खड़े हैं।’ मोदी ने कहा कि जापान के उनके पिछले दौरे पर उनकी मुलाकात आबे से हुई थी और इस दौरान उन्होंने कई सारे मुद्दों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा, ‘वह हमेशा की तरह विनोद और अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण थे। मुझे तनिक भी अंदाजा नहीं था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी। उनके परिजनों और जापान की जनता के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।’

First Published - July 8, 2022 | 11:48 PM IST

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