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तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान से बड़े खतरे

Last Updated- December 12, 2022 | 1:46 AM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आ जाने के बावजूद उन्हें अन्य देशों में अलकायदा और उससे संबद्ध समूहों से बड़ा खतरा नजर आता है। इसके साथ ही बाइडन ने कहा कि अफगानिस्तान में अब भी अमेरिकी सैन्य शक्ति पर ध्यान केंद्रित रखना ‘तर्कसंगत’ नहीं था। इस बीच अमेरिका ने तालिबान द्वारा देश पर कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान सरकार को हथियारों की बिक्री पर रोक लगा दी है।
वहीं द एसोसिएटेड प्रेस और एनओआरसी सेंटर फॉर पब्लिक अफेयर्स रिसर्च की तरफ से जारी एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि अमेरिका के अधिकतर नागरिकों का मानना है कि अफगानिस्तान में युद्ध ठीक नहीं था जबकि राष्ट्रपति बाइडन की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अमेरिका के लोगों के अलग-अलग मत हैं।  वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर विचार साझा किए और साझा सुरक्षा खतरों से निपटने, शरणार्थियों का सहयोग करने और आम अफगान नागरिकों की मानवीय दुर्दशा को खत्म करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई है।
विरोध जारी

अफगानिस्तान में लगातार दूसरे दिन गुरुवार को छिटपुट स्थानों पर अफगानों ने राष्ट्रध्वज के साथ प्रदर्शन किया तथा शासन संबंधी बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहे तालिबान ने हिंसा से उसे दबाने की कोशिश की। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने आयात पर आश्रित 3.8 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश के सामने खाद्यान्न की भारी कमी होने की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों ने कहा कि देश के सामने नकदी की भी कमी है तथा तालिबान के सामने वही समस्या है जो नागरिक सरकार के सामने थी क्योंकि जिस स्तर का अंतरराष्ट्रीय सहयोग नागरिक सरकार को हासिल था वैसा सहयोग तालिबान को नहीं मिल रहा है। 
गुरुवार को काबुल हवाईअड्डïे के पास कारों में सवार होकर एवं पैदल लोगों ने मार्च निकाला। उनके हाथों में अफगान ध्वज के सम्मान में लंबे काले, लाल एवं हरे बैनर थे। यह बैनर अवज्ञा का प्रतीक बनता जा रहा है क्योंकि तालिबान का अपना झंडा है। नांगरहार प्रांत में प्रदर्शन को लेकर एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें नजर आ रहा है कि एक प्रदर्शनकारी को गोली लगी है और उसका खून बह रहा है एवं लोग उसे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। खोस्त प्रांत में तालिबान अधिकारियों ने प्रदर्शन को दबाने के बाद 24 घंटे का कफ्र्यू लगा दिया। विदेश से स्थिति की निगरानी कर रहे पत्रकारों से यह जानकारी मिली है। कुनार प्रांत में भी लोग सड़कों पर उतरे जिसकी पुष्टि प्रत्यक्षदर्शियों एवं सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो से हुई। यह प्रदर्शन ऐसे समय हो रहा है जब अफगानिस्तान में गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। यह दिवस मध्य एशियाई देश में ब्रितानी शासन का अंत करने वाली 1919 की संधि की याद में मनाया जाता है। 

बुधवार को भी जलालाबाद में प्रदर्शनकारियों ने तालिबान का झंडा हटाकर अफगानिस्तान का तिरंगा लगा दिया।  इस बीच, अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी में पहुंचे विपक्षी नेता नॉदर्न अलायंस के बैनर तले सशस्त्र विरोध करने को लेकर चर्चा कर रहे हैं। यह स्थान नॉर्दर्न अलायंस लड़ाकों का गढ़ है, जिन्होंने 2001 में तालिबान के खिलाफ अमेरिका का साथ दिया था। यह एकमात्र प्रांत है जो तालिबान के हाथ नहीं आया है।
मानव संकट

तालिबान ने अभी तक उस सरकार के लिए कोई योजना पेश नहीं की है, जिसे चलाने की वह इच्छा रखता है। उसने केवल इतना कहा है कि वह शरिया या इस्लामी कानून के आधार पर सरकार चलाएगा। अफगानिस्तान में विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमुख मेरी एलन मैकग्रोर्थी ने कहा, ‘हमारी आंखों के सामने एक बहुत बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो रहा है। खाद्यान्न आयात की मुश्किलों के अलावा सूखे से देश की 40 फीसदी फसल नष्ट हो गई है। यह वाकई अफगानिस्तान की बहुत बड़ी जरूरत की घड़ी है और हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस वक्त अफगान लोगों के साथ खड़ा होने की अपील करते है।’

First Published - August 20, 2021 | 12:57 AM IST

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