इस हफ्ते सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की मुलाकात पर होगी। दोनों नेता अंतरिम व्यापार करार से जुड़ी वार्ता को आगे बढ़ाएंगे जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। व्यापार और निवेश के अलावा, रक्षा, उच्च प्रौद्योगिकी, ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर वार्ता होगी और दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दे को भी उठाया जा सकता है।
जॉनसन की यात्रा काफी लंबे समय से लंबित थी और कोविड-19 के चलते भी उनकी यात्रा दो बार रद्द की गई थी। वह भारत में 21-22 अप्रैल तक रहेंगे। उनकी यात्रा की शुरुआत गुरुवार को गुजरात से होगी जिसके बाद वह शुक्रवार को नई दिल्ली में मोदी के साथ बैठक करेंगे।
उनकी यह यात्रा इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि इस वक्त पूर्वी यूरोप में संकट की स्थिति है और ब्रिटेन सहित अन्य पश्चिमी देश दबाव डाल रहे हैं कि भारत, यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की आलोचना करे। इस युद्ध को लेकर भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है। जॉनसन ने रविवार को ट्वीट में कहा, ‘इस हफ्ते मैं भारत की यात्रा पर रहूंगा ताकि दोनों देशों के बीच लंबे समय की साझेदारी गहरी हो सके। निरंकुश देशों की वजह से हमारी शांति और संपन्नता पर खतरा महसूस हो रहा है, ऐसे में यह अहम है कि दुनिया के लोकतांत्रिक देश और मित्र अब एकजुटता दिखाएं।’
पिछले साल मई में भारत और ब्रिटेन ने व्यापार साझेदारी बढ़ाने की घोषणा की जिसमें मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वृहद वार्ता और शुरुआती लाभ देने के लिए अंतरिम व्यापार समझौते पर वार्ता भी शामिल है। इस व्यापार करार से बाजार तक की पहुंच का मसला हल होने की उम्मीद है और दोनों देशों के बीच निर्यात बढऩे और व्यापार साझेदारी मजबूत होने की उम्मीद है।
एक वैश्विक पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक, सीयूटीएस इंटरनैशनल के महासचिव प्रदीप मेहता का कहना है, ‘बोरिस जॉनसन की यात्रा से भारत के साथ व्यापार समझौते की गंभीरता भी बढ़ेगी और ऐसे में भारतीय पक्ष के लिए करार पर वार्ता करना आसान होगा। हालांकि ब्रिटेन में लोगों की गतिविधि एक प्रमुख मुद्दा है। इस मुद्दे पर कैसा रुख होता है यह हमारे लिए अहम होगा।’ भारत के लिए एक अहम मांग, भारतीय छात्रों और कुशल पेशेवरों के लिए आसानी से वीजा पाना है। वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन ने अल्कोहलिक स्प्रिट, फूड, ऑटोमोटिव और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में शुल्क में कमी की मांग की है जिसमें व्हीस्की पर शुल्क में कमी की मांग शीर्ष पर है।
दोनों देशों ने 13 जनवरी को वार्ता की शुरुआत की थी। पहले और दूसरे चरण की वार्ता क्रमश: जनवरी और मार्च में हुई जिनमें निवेश, सीमा शुल्क, व्यापार से जुड़ी तकनीकी बाधा, टिकाऊपन जैसे विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों पर चर्चा हुई। इसके बाद मसौदा संधि विषय वस्तु साझा किया गया था। अब तक 26 नीतिगत क्षेत्रों से जुड़े 64 अलग-अलग सत्रों में वार्ता हुई है।
तीसरे चरण की वार्ता की मेजबानी भारत करेगा और इसके अगले हफ्ते शुरू होने की उम्मीद है। अंतरिम व्यापार करार के पूरे होने पर वर्ष के मध्य में सहमति बनी हालांकि इसकी आधिकारिक तारीख की घोषणा अभी की जानी है। इस मसले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के विपरीत ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में अभी कुछ वक्त और लग सकता है।
अंतरिम समझौते में 60-65 फीसदी व्यापारिक वस्तुओं के शुल्क को उदार बनाए जाने की बात की जाएगी हालांकि आखिरी करार में 90 प्रतिशत से अधिक वस्तुएं हो सकती हैं। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय समझौते के दोगुने से अधिक होने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। ब्रिटेन, भारत का सातवां सबसे बड़ा निर्यात साझेदार और 17वां सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और अप्रैल-फरवरी (2021-22) के दौरान कुल कारोबार 16 अरब रहा।