वैश्विक क्रेडिट संकट के कारण विश्व केसभी बाजारों का बेंचमार्क सूचकांक 30 सितंबर 2008 को 52 सप्प्ताहों के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। इसकेपरिणाम स्वरूप विश्व की अर्थव्यवस्था में ठहराव सा आ गया। पूरे विश्व में कारोबार पर क्र ेडिट संकट का असर कितना पड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल 31 अक्तूबर से लेकर अब अब तक वैश्विक शेयर बाजार को 20.36 खरब डॉलर का घाटा हो चुका है। अमेरिकी शेयर बाजर के वैल्यू में 26.94 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 5.13 खरब की गिरावट के साथ 13.92 खरब डॉलर केस्तर पर पहुंच गया वहीं ब्रिटेन का शेयर बाजार अपने अधिकतम स्तर से 1.49 खरब डॉलर की गिरावट केसाथ 2.72 खरब डॉलर केस्तर तक आ गिरा। गिरावट के दौर से फ्रांस भी अछूता नहीं रहा और इसके बाजारों को 1.11 खरब डॉलर की हानि हुई वहीं जर्मनी के शेयर बाजार में पिछले 52 सप्प्ताहों के अधिकतम स्तर में कमी देखने को मिली और यह गिरावट के साथ 773 खरब डॉलर तक आ पहुंचा।
एशियाई शेयरों में अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों की तुलना में पिछले 52 सप्प्ताहों के अधिकतम स्तर से इसके अधिकांश शेयरों में गिरावट आई है। एशियाई बाजारों में मंदी की सबसे ज्यादा मार भारतीय शेयर बाजर पर पड़ी है और इसमें अब 51 प्रतिशत की गिरावट आई है। सबसे अधिक प्रभावित शेयर बाजारों में हांग कांग शेयर बाजार दूसरे पायदान पर है और यह 52 सप्प्ताहों के अधिकतम स्तर यानी 2.99 खरब डॉलर के स्तर से 46.01 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1.62 खरब डॉलर पहुंच गया। जहां तक चीन के
बाजार केमार्केट कैपिटलाइजेशन की बात है तो इसमें 43.29 प्रतिशत की गिरावट आई है
जबकि इसके बाद इस श्रेणी में दक्षिण कोरिया
(582 अरब डॉलर), आस्ट्रेलिया (422
अरब डॉलर) और जापान (1.40 खरब)
शामिल है।
वित्तीय बाजार
अमेरिका में डूबे हुए आवासीय ऋण से शुरू हुआ संकट पूरे वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की चपेट में लेने को उतावला हो रहा है। बैंकों का सब–प्राइम संकट से संबंधित घाटा पूरे विश्व स्तर पर 30 सितंबर 2009 तक 588 अरब डॉलर तक के स्तर तक पहुंच चुका है। इस पूरे घाटे में अमेरिक के बैंकों और मॉर्गेज कंपनियों का योगदान 57 प्रतिशत॒(334 अरब डॉलर)है जबकि यूरोपीय वित्तीय कंपनियों का योगदान 39 प्रतिशत है जबकि एशियाई बैंक और वित्तीय संस्थानों का योगदान 4 प्रतिशत केसाथ 24 अरब डॉलर रहा है।
सिटी ग्रुप को जहां 60.8 अरब डॉलर का परिसंपत्ति और के्रडिट घाटा हुआ है वहीं वाकोविया कॉर्पोरेशन को 52.7 अरब डॉलर, मेरिल लिंच एंड कंपनी को 52.2, वाशिंगटन म्युचुअल इंक को 45.6, यूबीएस एजी को 44.2, एचएसबीसी होल्डिंग्स को 27.4, बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्पोरेशन को 21.2, जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी को 18.8 और मॉर्गन स्टैनली को 15.7 अरब डॉलर का घाटा हुआ है।
विश्व के बड़ बैंक जो कि अमेरिक सब–प्राइम संकट से प्रभावित हुए हैं,उनके मार्केट वैल्यू में अभी तक औसतन 54.17 प्रतिशत का घाटा हुआ है जबकि भारत के तीन प्रमुख बैंकों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बढ़िया रहा और इसके इस साल 14 जनवरी के इसके शेयरों की कीमतों केउच्चतम स्तर में 44.46 प्रतिशत की गिरावट आई है।
दस प्रमुख विदेशी बैंकों का मार्केट वैल्यू पिछले साल सितंबर–अक्तूबर के 1090 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर से फिसलकर 499.77
प्रतिशत आ गया है। इसक ी तुलना में तीन प्रमुख भारतीय बैंकों का मार्केट कैपिटलाइजेशन
126,793 करोड़ से गिरकर 70,425 करोड़ रुपये आ गया।