क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) देशों की ओर से भारत से अधिक स्वीकार्य प्रस्ताव के साथ संपर्क करने की पहल पर मंत्रालयों की अलग अलग राय सामने आई है। भारत की ओर से आरसेप वार्ता में दो महत्त्वपूर्ण साझेदारों विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय से परस्पर विरोधी प्रतिक्रिया मिली है।
इस समूह में शामिल देशों ने हाल ही राजनियक सूत्रों के जरिये भारत से संपर्क साधा है। भारत से इस ब्लॉक में शामिल होने के लिए कहा जा रहा है। प्रतिबद्धत्ताओं पर विवरण को लेकर बाद में समीक्षा की जाएगी। पिछले महीने, आरसेप की व्यापार वार्ता समिति की ओर से जारी किए गए पत्र में भारत में विदेशी उत्पादों के लिए बाजार पहुंच की मांग पर भी नरमी दिखाई गई है।
अब विदेश मंत्रालय आरसेप समूह में भारत के शामिल होने का मजबूती से विरोध कर रहा है। उसका तर्क है कि चीन की योजना इस ब्लॉक को ऐसे मंच के रूप में इस्तेमाल करने की है जिससे भारत सरकार के घरेलू विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण की काट की जा सके। मंत्रालय ने इस ओर भी संकेत किया है कि चीन ने विगत कुछ महीनों से भूराजनीतिक कदम के तौर पर कितना आक्रामक रुख अख्तियार कर रखा है। इसकी वजह है कि चीन अपने यहां शुरुआती दिनों में कोरोनावायरस महामारी के स्तर को छिपाने को लेकर कई देशों के आरोपों से बहुत अधिक चिंतित है। लेकिन वाणिज्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि वे सभी संभावित परिणामों का आकलन कर रहे हैं और आरसेप की ओर से भेजे गए सभी प्रस्तावों का अध्ययन करेंगे। वाणिज्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार आरसेप ब्लॉक की ओर से आने वाले किसी भी नए प्रस्ताव को सुनने के लिए तैयार है और इससे जुडऩे का निर्णय वैश्विक व्यापार की वास्तविकताओं और भारत के सामानों के लिए उचित निर्यात गंतव्यों की जरूरत के आधार पर किया जाएगा। लेकिन बड़ी चिंताओं का समाधान होना अभी बाकी है। उन्होंने कहा, ‘समझौता में रुकावट के लिए जिम्मेदार 70 मुद्दों में से करीब 50 भारत की चिंताएं हैं। इनमें से हमारी ओर से एक प्रमुख मांग थी चीन के लिए प्रस्तावित आयात सीमा तय करना और चीन के आयातों पर उसके एक निश्चित सीमा को पार कर जाने की स्थिति में शुल्क लगाने वाले तंत्र का निर्माण हो। इसका चीन की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा है।’ प्रस्तावित आरसेप दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) के दस और छह अन्य (न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया) अर्थव्यवस्थाओं का एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) है जिनके साथ समूह का फिलहाल एफटीए हैं।