संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौते करने के बाद भारत खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के देशों के साथ संबंधों को गहरा करने के मकसद से मई से जून में देशों के समूह के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप प्रदान कर सकता है। इस मामले से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी है।
जीसीसी एक क्षेत्रीय, अतर-सरकारी राजनीतिक आर्थिक संघ है जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात कुल छह देश हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल शुल्क और व्यापार आंकड़ों को जीसीसी के साथ साझा किया गया है जिसका मकसद एक व्यापारिक समझौते की संभावना की तलाश करना है।
अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘भारत व्यापार में लाभों के साथ साथ विभिन्न अन्य पहलुओं को देखने के लिए जीसीसी के देशों के साथ भागीदारी बढ़ा रहा है। चूंकि यूएई भी जीसीसी का हिस्सा है लिहाजा हमारे पास पहले से ही एक प्रारूप मौजूद है। जीसीसी की रूचि के आधार पर हमें देखना होगा कि हम इस दिशा में कैसे आगे बढ़ सकते हैं।’
अधिकारी ने कहा कि मई में रमजान के बाद जीसीसी देशों के साथ भागीदारी बढऩे की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) को भी दोनों देश लागू करेंगे। भारत-यूएई सीईपीए पर फरवरी में हस्ताक्षर किए गए थे और व्यापार समझौता 1 मई से प्रभावी होने की उम्मीद है।
सरकारी अधिकारियों और निर्यातकों ने कहा कि जीसीसी के साथ व्यापारिक समझौते को अंतिम रूप देना आसान हो सकता है। अब भारत ने यूएई के साथ एक एफटीए किया है जिसके बाद जीसीसी देशों को समान पेशकश करना आसान होगा क्योंकि बाकी देशों की प्रोफाइल भी लगभग एक जैसी है।
इसके अलावा व्यापार की प्रकृति के संदर्भ में अधिकांश उत्पादों को लेकर बहुत कम प्रतिस्पर्धा है और ये एक दूसरे के पूरक अधिक हैं।
विगत में भी भारत और खाड़ी सहयोग परिषद ने आर्थिक साझेदारी पर एक ढांचागत समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसका मकसद उनके बीच एफटीए की संभावना की तलाश करना था। यह करार हुए 17 वर्ष से अधिक समय हो गया है। इसके बाद 2006 और 2008 में दो दौर की वार्ता हुई थी। हालांकि, दो दौर के बाद आर्थिक संघ ने सभी देशों और आर्थिक समूहों के साथ अपनी चर्चाओं को टाल दिया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कि पहले के मुकाबले एफटीए को लेकर दृष्टिकोण कहीं अधिक व्यापक हुआ है और यह केवल व्यापार तक सीमित नहीं है।
सहाय ने कहा, ‘पहले मुख्य तौर पर ध्यान व्यापार पर होता था। लेकिन आज हम दूसरे अवसरों पर विचार कर रहे हैं जैसे कि क्या निवेश भारत से बाहर जा सकता है, क्या हम डिजिटल व्यापार में भारत से सहयोग हासिल कर सकते हैं, सरकारी खरीद में किस प्रकार के मौके हो सकते हैं। विगत 10 से 15 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद भी बढ़ा है। उससे भी देश को मदद मिल रही है।’
उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय संघ और पूर्वोत्तर एशिया के बाद जीसीसी भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
अप्रैल से जनवरी के बीच जीसीसी के छह देशों को भारत का निर्यात 34.86 अरब डॉलर का रहा जबकि आयात 86.95 अरब डॉलर का रहा। कुल निर्यातों की तुलना में निर्यात की हिस्सेदारी 10 फीसदी रही जबकि आयात की हिस्सेदारी 17.6 फीसदी रही।
पश्चिम एशिया से होने वाले कुल आयातों में से करीब दो तिहाई पेट्रोलियम उत्पाद होते हैं। इसके अलावा जीसीसी के साथ होने वाले व्यापार में यूएई और सऊदी अरब की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है।