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भारतीय आईटी कंपनियों पर अल्पावधि दबाव के आसार

Last Updated- December 14, 2022 | 10:28 PM IST

अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने स्थानीय नियुक्तियों को बढ़ावा देने के लिए ट्रंप प्रशासन की एक अन्य कोशिश के तहत गैर-प्रवासी वीजा आवेदकों के लिए ‘प्रीमियम प्रोसेसिंग’ शुल्क बढ़ा दिया है। उद्योग विश्लेषकों के अनुसार, कंपनियों द्वारा अपनी स्थानीय नियुक्तियों में इजाफा किए जाने के बावजूद इस कदम से भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अल्पावधि लागत प्रभावित हो सकती है।
एच2बी और आर1 आवेदकों को छोड़कर सभी आवेदनों के लिए ‘प्रीमियम प्रोसेसिंग’ के लिए शुल्क करीब 75 प्रतिशत तक बढ़ाकर 1,440 डॉलर से 2,500 डॉलर कर दिया गया है। एच2बी और आर1 आवेदनों के लिए शुल्क बढ़ाकर 1,500 डॉलर किया गया है। ‘प्रीमियम प्रोसेसिंग’ वह शुल्क है जो विदेशी नियोक्ताओं द्वारा अपने आवेदनों को कम समय में सफल बनाने के लिए चुकाया जाता है, वरना संघीय एजेंसी द्वारा इस प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं। यह भारतीय रेलवे में तत्काल व्यवस्था के समान है।
हालांकि ताजा आय सत्र के दौरान, प्रमुख आईटी कंपनियों का कहना है कि वे वीजा मुद्दों को लेकर चिंतित नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर अमेरिकी कर्मी अब वीजा पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। अमेरिका में नए आब्रजन संबंधित घटनाक्रम के संबंध में ग्राहकों द्वारा लोकेशन-मुक्त सिक्योर्ड बॉर्डरलेस वर्कस्पेसेज (एसबीडब्ल्यूएस) डिलिवरी मॉडल और अमेरिका में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की स्थानीय नियुक्ति प्रक्रिया से उसे उसे वीजा जोखिमों में कमी लाने में मदद मिलेगी।

First Published - October 18, 2020 | 11:48 PM IST

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