विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की महानिदेशक ओकोंजो इवेला नगोजी ने रविवार को कहा कि सदस्य देशों को निर्यात प्रतिबंधों के असर को कम करके नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि जब देशों द्वारा इसे लागू किया जाता है तो इससे चल रहा वैश्विक खाद्य संकट बढ़ सकता है।
महानिदेशक ने कहा, ‘आपने 2008-09 का खाद्य संकट देखा है, इस तरह की कार्रवाई से कीमत में तेजी आ सकती है। खाद्य सुरक्षा घोषणा में हमारे सदस्यों ने यह बताने की कोशिश की थी कि वे इस तरह की कार्रवाई से किस तरह से बचने की कवायद करेंगे। यह बहुत अहम योगदान है, जिससे वे खाद्य उत्पाद की कीमत और बढ़ने से रोक सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि यह बहुत अहम योगदान है।’ नगोजी ने रविवार को जिनेवा में रविवार को शुरू हुए 4 दिवसीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के उद्घाटन के संवाददाता सम्मेलन में यह कहा।
विश्व इस समय खाद्यान्न की कमी, आसमान छूटे कच्चे तेल की कीमत और बढ़ती महंगाई के संकट से जूझ रहा है, जो इस साल फरवरी की शुरुआत में शुरू हुए यूक्रेन और रूस के बीच टकराव के कारण बढ़ा है। इन वजहों से गरीब देश कठिनाइयों से गुजर रहे हैं, जो इन चीजों की आपूर्ति पर निर्भर हैं।
भारत सहित 23 देशों ने खाद्य निर्यात को लेकर नियम सख्त किए हैं, जिससे वे अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। पिछले महीने भारत ने भी गेहूं और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए थे और कहा था कि सरकार नहीं चाहती कि उसका अधिशेष खाद्यान्न जमाखोरों के हाथ जाए और उसके बाद वे गरीब देशों से इसकी भारी कीमत वसूलें।
निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले पर पूरी दुनिया के राजनेताओं ने प्रतिक्रिया देते हुए भारत को फैसले पर फिर से विचार करने को कहा, जिससे खाद्यान्न की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी पर काबू पाया जा सके।
महानिदेशक ने आगे कहा कि एक या दो वितरण योग्य चीजों पर इस बैठक में सहमति बनने को भी सफलता मानी जा सकती है। बहरहाल उन्होंने चेतावनी दी कि एक या दो समझौतों पर सहमति बनने से राह आसान नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ‘राह रपटीली और पथरीली है। रास्ते में कुछ बारूदी सुरंगें भी हो सकती हैं। हमें उन बारूदी सुरंगों से बचना होगा और यह देखना होगा कि हम किस तरह से एक या दो डिलिवरेबल्स के लिए राह निकाल सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि मंत्रियों में अब राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है जिससे मील के अंतिम पत्थर तक पहुंचा जा सके और कोविड-19 टीके तक पहुंच बढ़ाने, फिशिंग सब्सिडी पर मतभेद घटाने, खाद्य सुरक्षा के लिए भंडारण सहित कृषि संबंधी मसलों पर आगे बढ़ा जा सके और यह देखा जा सके कि किस तरह सुधार पेश किया जा सकता है।