वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फंडों व टीकों के वितरण के लिए बहुपक्षीय स्तर पर स्वतंत्र प्रशासनिक व्यवस्था बनाए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य की महामारी के लिए एक कोष तैयार किया जा सकेगा।
इंडोनेशिया में ‘स्ट्रेथनिंग ग्लोबल हेल्थ आर्किटेक्चर’ पर आयोजित जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के वर्चुअल सेमीनार में सीतारमण ने आज बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों से खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों को भविष्य में महामारी से निपटने के लिए तैयार करने को लेकर वित्तपोषण बढ़ाने का आग्रह किया। वहीं इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा कि देशों को तनाव से बचना चाहिए और महामारी से उबरने में सहयोग करना चाहिए।
इंडोनेशिया के बाली में जी-20 बैठक में ऑनलाइन परिचर्चा में भाग लेते हुए सीतारमण ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है और उन्हें चुनौतियों से पार पाने को लेकर वैश्विक समर्थन की जरूरत है। उन्होंने वैश्विक सार्वजनिक सामानों के लिए वित्त जुटाने के बारे में विचार साझा करते हुए कहा, सुबह से और यहां तक कि इस पैनल में भी चर्चा के साथ यह अब और अधिक साफ है कि सुरक्षित भविष्य के लिए निवेश अभी होना चाहिए।
सीतारमण ने कहा कि उदाहरण के लिए भारत ने अकेले स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधाओं के लिए 29 अरब डॉलर आवंटित किए। इसमें गरीब और कम आय वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा, ‘बहुपक्षीय विकास बैंकों से अधिक वित्तपोषण की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जो रेजिलिएंट एंड सस्टेनेबिलिटी ट्रस्ट बना रहा है, उसे महामारी को लेकर तैयारियों को ध्यान में रखना चाहिए।’
प्रस्तावित 50 अरब डॉलर के कोष वाले आरएसटी का मकसद देशों की सहायता के लिए सस्ता और दीर्घकालीन वित्त सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि वे संरचनात्मक चुनौतियों से निपट सके। उन्होंने कहा कि जी-20 की समिति ने कोष जुटाने को एक रूपरेखा देने में सराहनीय काम किया है। जो अंतर है, उसे आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) सहित अन्य साधनों से पूरा किया जा सकता है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को अपनी क्षमता का विस्तार करने और वैश्विक स्तर पर संसाधन जुटाने की जरूरत है। साथ ही महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए संरचनात्मक बाधाओं को दूर करना होगा।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा, ‘महामारी खत्म नहीं हुई है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था जूझ रही है।’ विडोडो ने कहा, ‘ऐसे हालात में कोई भी देश अकेले पटरी पर नहीं आ सकता है। सभी देश आपस में जुड़े हुए हैं, कोई भी अलग-थलग नहीं है।’ जी-20 के वित्तीय नेताओं की यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है, जब कई अर्थव्यवस्थाएं महंगाई दर को काबू में करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाने पर जोर दे रही हैं।