दस वैश्विक संगठनों ने 2021 के संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जलवायु परिवर्तन सम्मेलन यानी की सीओपी26 में ग्लोबल रिसिलिएंस इंडेक्स इनीशिएटिव (जीआरआईआई) की शुरुआत की है। इसके लिए उन्होंने अपनी ओर से आंशिक तौर पर फंड दिया है और इसी तरह से बीमा क्षेत्र तथा साझेदार संस्थाओं से धन प्राप्त किया है।
जीआरआईआई सभी क्षेत्रों तथा भौगोलिक क्षेत्रों में लचीलेपन के आकलन के लिए वैश्विक स्तर पर एक सुसंगत मॉडल मुहैया कराएगा।
जीआरआईआई सरकारों, अकादमिक जगत, बीमा और इंजीनियरिंग के बीच सार्वजनिक-निजी भागीदारी सहित एक दूसरे क्षेत्र के बीच जोखिम मॉडलिंग अनुभव का उपयोग करेगी।
जलवायु कार्रवाई और वित्त पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्क कार्ने, आपदा जोखिम कटौती के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनडीआरआर) में आपदा जोखिम कटौती की सहायक महासचिव और महासचिव कीविशेष दूत ममी मिजुटोरी तथा एऑन के अध्यक्ष एरिक एंडरसन इस पहल के संरक्षक हैं।
जीआरआईआई की शुरुआत करने वाले संगठनों में यूएनडीआरआर, इंश्योरेंस डेवलपमेंट फोरम, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, कोअलिशन फॉर डिजास्टर रिसिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर, कोअलिशन फॉर क्लाइमेट रिसिलिएंट इन्वेस्टमेंट, यूके सेंटर फॉर ग्रीनींग फाइनैंस ऐंड इन्वेस्टमेंट (सीजीएफआई) तथा इंग्लैंड की जोखिम और बीमा सलाहकार कंपनी विलिस टॉवर्स वाटसन शामिल हैं।
एन्वायरनमेंट एजेंसी और सीजीएफआई एडवाइजरी बोर्ड की अध्यक्ष एम्मा होवार्ड बॉयड के मुताबिक पिछले एक वर्ष में वैंकवुवर में चलने वाली लू, जर्मनी में आई बाढ़, टेक्सास में ध्रवीय भंवर और मेडागास्कर में सूखे की स्थिति ने जलवायु परिवर्तन के खतरनाक मानव लागत को दर्शाया है। बॉयड ने कहा, ‘जलवायु उपद्रव के प्रति अपनी प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं को लचीला बनाकर हम लाखों की संख्या में जीवन और आजिविकाओं को बचा सकते हैं। इस बड़े एजेंडे को गति देने के लिए हमें अनुकूलन को अपनाने की जरूरत है।
पहले हासिल करेंगे स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 2030 की समय सीमा से पहले ऊर्जा क्षेत्र में गैर-जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी और 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा।
ग्लासगो में सीओपी26 जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प व्यक्त किया है कि भारत 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्षय प्राप्त कर लेगा, जिसे देखते हुए यह महत्त्वपूर्ण हो गया है। मोदी ने गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्य बढ़ा दिया है। भाषा