विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अपनी यात्रा, विकास और बदलाव और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता का माहौल सुनिश्चित करने के वास्ते जापान को एक ‘‘स्वाभाविक साझेदार’’ के रूप में देखता है। जयशंकर ने जापान की विदेश मंत्री कामिकावा योको से ‘‘सार्थक वार्ता’’ की।
तोक्यो में 16वीं भारत-जापान विदेश मंत्री स्तरीय रणनीतिक वार्ता में अपने प्रारंभिक संबोधन में जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत और जापान मूल्यों, इतिहास और हितों को साझा करने वाले दो प्रमुख हिंद-प्रशांत राष्ट्रों के रूप में, क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
उन्होंने 2023 को द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक वर्ष बताया। जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे चरण के तहत इस समय तोक्यो में है। उन्होंने कहा, ‘‘हम जापान को भारत की यात्रा, विकास और बदलाव तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता का माहौल स्थापित करने की दिशा में एक स्वाभाविक साझेदार के रूप में देखते हैं।’’
भारत और जापान क्वाड के सदस्य हैं। ‘क्वाड’ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के बीच चार सदस्यीय रणनीतिक सुरक्षा संवाद है। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जापानी विदेश मंत्री कामिकावा योको के साथ एक सार्थक बैठक हुई और हमने आज तोक्यो में 16वीं भारत-जापान विदेश मंत्री रणनीतिक वार्ता की सह-अध्यक्षता की। विभिन्न क्षेत्रों में हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की निरंतर प्रगति को देखकर खुशी हुई। उभरती प्रौद्योगिकियों सहित विस्तार के नए और महत्वाकांक्षी क्षेत्रों पर चर्चा की गई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर हमारे विचारों का आदान-प्रदान बहुत सार्थक रहा। जैसे-जैसे हम बहुध्रुवीय विश्व की ओर बढ़ेंगे, भारत और जापान दृढ़ भागीदार होंगे।’’ योको के साथ एक संयुक्त प्रेस बयान में, जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलू को शामिल करते हुए व्यापक चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भी उत्सुक हूं।’’
उन्होंने कहा कि वार्ता के जरिये भारत-जापान विशेष रणनीतिक वैश्विक साझेदारी के दृष्टिकोण और दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की इस साझेदारी से अपेक्षाओं को साकार करने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया गया। जयशंकर ने कहा कि बातचीत का यह दौर ‘‘बहुत सार्थक’’ रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों में अच्छी प्रगति की है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, हम यहां तोक्यो में बैठक कर रहे हैं, भारतीय सेना राजस्थान में जापानी आत्मरक्षा बलों के साथ संयुक्त अभ्यास कर रही है। हमारी सेना और तटरक्षक बल की तीन शाखाएं जापानी समकक्षों के साथ नई परिचालन पारस्परिक साझेदारी व्यवस्था के माध्यम से सार्थक रूप से जुड़ी हुई हैं।’’
उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान साइबर तथा अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं के बारे में विचारों का आदान-प्रदान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग ढांचे में प्रगति की भी समीक्षा की। आर्थिक सहयोग में, हम भारत में जापानी निवेश को बढ़ाने की काफी संभावनाएं देखते हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत सरकार हमारे बुनियादी ढांचे के माहौल में लगातार सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। मैंने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेलवे जैसी प्रमुख परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन के महत्व को रेखांकित किया, जो भारत की पहली शिंकानसेन परियोजना है।’’ उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर में जापान की विकास भूमिका का स्वागत करते हुए कहा कि यह उस क्षेत्र के संपर्क और औद्योगिक परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण होगा।
मंत्री ने कहा, ‘‘हम व्यापार और प्रौद्योगिकी पर रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर एक-दूसरे की आर्थिक सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला को लेकर मिलकर काम करने की आवश्यकता पर भी सहमत हुए। इस संदर्भ में, हमने सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र, हरित प्रौद्योगिकियों और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में संभावनाओं पर चर्चा की।’’
दोनों पक्षों ने शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति के माध्यम से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के तरीकों पर भी बात की। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने भारतीय पर्यटकों और अन्य नागरिकों के लिए जापान की यात्रा के लिए अधिक सुगम वीजा व्यवस्था की आवश्यकता के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि वह अगले ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय संवाद के लिए भारत में अपने जापानी समकक्ष का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।