विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के दूसरे दिन भारत ने सार्वजनिक स्टॉक से अनाज के निर्यात की अनुमति देने की वकालत की है। भारत का कहना है कि यह निर्यात एक सरकार से दूसरी सरकार को मानवीय उद्देश्य के लिए होना चाहिए।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने डब्ल्यूटीओ के एक सत्र में कहा कि भारत का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की एक सीमा है और वह अपने दम पर बमुश्किल उल्लेखनीय रूप से विश्व खाद्य सुरक्षा में हिस्सेदारी निभा सकता है।
मंत्री ने कहा कि उदाहरण के लिए 3-4 साल पहले डब्ल्यूएफपी पूरे साल में 30 लाख टन अनाज खरीद सकता था। यहां तक कि 2021 मे करीब 1.8 अरब डॉलर में महज 44.7 लाख टन खरीद सका। यह मानवीय संकट या खाद्य सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए अपर्याप्त है। यह कार्यक्रम 120 से ज्यादा देशों और इलाको में चल रहा है, जिससे जीवन रक्षक खाद्य लोगों को पहुंचाया जा सके और किसी आपदा या टकराव की स्थिति से बचा जा सके। गोयल ने कहा, ‘दुनिया को यह बताने की कोशिश करने के अलावा कि डब्ल्ययूटीओ और उसके सदस्यों ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए कुछ किया है, इसने कोई महत्त्वपूर्ण बदलाल नहीं किया है और इससे कोई अहम बदलाव होने भी नहीं जा रहा है।’