सस्ती हवाई सेवा देने वाली अमेरिकी कंपनी स्काईबस एयरलाइन्स इंक का दिवाला निकल गया है।
स्काई बस को मैदान में आए अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ कि उसने अपनी उड़ाने बंद कर खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। पिछले ढाई हफ्ते के भीतर यह तीसरी विमान कंपनी है जिसने इंधन की बढ़ती कीमतों और हिचकोले खाती अर्थव्यवस्था के आगे घुटने टेके हैं। इससे पहले अलोहा एयरग्रुप इंक और एटीए एयरलाइन इंक का भी यही हाल हुआ।
स्काईबस ने 22 मई को अपनी सेवा शुरू की थी और दिलचस्प बात यह है कि इसमें चार घंटे की यात्रा वाली कुछ उड़ानों के लिए टिकट की कीमत 10 डॉलर रखी गई थी। कंपनी ने अपने वेब पेज पर लिखा है कि बेहद खराब वित्तीय हालत के चलते निदेशक मंडल के सामने सेवा बंद करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था।
डेलावेयर स्थित अमेरिकी बैंकरप्सी अदालत में दाखिल एक याचिका पर नजर डालें तो एक और विमानन कंपनी कोलंबस भी इसी राह की मुसाफिर है। कंपनी की कुल परिसंपत्तियां 500 से 100 करोड़ डॉलर की हैं इस पर 50 से 100 करोड़ का कर्ज चढ़ चुका है और जिस लेनदार का पैसा सबसे ज्यादा खतरे में है वह है शिकागो की एक ईंधन कंपनी वर्ल्ड फ्यूल मैनेजमेंट जिसके 8.5 करोड़ डॉलर पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
अपनी सेवाएं बंद करने वाली कंपनियों की कतार में अगला नंबर है मिनेसोटा की कंपनी चैंपियन एयर का। बोइंग 727 विमान के लिए ईंधन जुटाना इस कंपनी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
क्यों समेटे अलोहा ने अपने पंख?
होनोलूलू की कंपनी अलोहा ने 30 मार्च को घोषणा की कि वह अपनी सेवाएं बंद कर रही है क्योंकि उसे न तो कोई खरीददार मिल रहा है और न ही वित्तीय सहायता। उसने 20 मार्च को यूएस बैंकरप्सी कोर्ट के चैप्टर 11 के तहत सुरक्षा के लिए अर्जी दी।
हवाई द्वीप के अंदरूनी मार्गों पर उड़ान भरने वाली अलोहा ने दिसंबर 2004 में ही खुद दिवालिया घोषित करने के लिए याचिका दाखिल की थी। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक पिछले साल जेट के ईंधन के दामों में 62 फीसदी का इजाफा हुआ है।
स्काईबस 11 एयरबस जेटलाइनर के बेड़े का संचालन करती थी और यह सेवाएं 15 शहरों के लिए मौजूद थी। अमेरिका में विमानन कंपनियों के ऊपर लगातार मंदी का खतरा मंडरा रहा है और अब देखना है कि वह इस चक्रव्यूह से खुद को कैसे बाहर निकाल पाती हैं। इस घाटे से उबरना उनके लिए बहुत जरूरी है।