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सुरक्षा सहयोग पर चर्चा करेंगे जॉनसन

Last Updated- December 11, 2022 | 7:42 PM IST

इस सप्ताह अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत को रूस के तेल और रक्षा उपकरणों पर निर्भरता कम करने में मदद करने की पेशकश करेंगे। इस यात्रा से उनके राजनयिक कौशल की परीक्षा होगी।
जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में अपनी पहली भारत यात्रा, जो गुरुवार से शुरू हो रही है, के दौरान बोरिस जॉनसन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठकों में सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे।
यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर पश्चिमी मित्र राष्ट्रों ने भारत से इस युद्ध के खिलाफ बोलने का आह्वान किया है। भारत, जो रूस के हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार है और उसके तेल का आयात करता है, ने इस आक्रमण की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मतदान से दूरी बनाए रखी और रूस पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। मोदी ने नागरिकों के मारे जाने पर के संबंध में चिंता जताई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस महीने की शुरुआत में मोदी से कहा था कि रूस से और तेल खरीदना भारत के हित में नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि जॉनसन इस मामले पर मोदी को भाषण नहीं देंगे। नई दिल्ली में सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के निदेशक उदय भास्कर ने कहा कि भारत सरकार जॉनसन के संदेश को ध्यानपूर्वक सुनेगी। उन्होंने कहा कि यह है कि ब्रिटेन रूस पर भारत की निर्भरता का समाधान नहीं कर सकता है। उसके पास बेचने के लिए पर्याप्त तेल या सही प्रकार के सैन्य उपकरण नहीं हैं।
हालांकि भारत हाल के वर्षों में पश्चिम देशों के करीब आया है, लेकिन चीन के साथ हिमालय की सीमा के गतिरोध और पाकिस्तान के साथ सदैव बने रहने वाले तनाव के बीच देश अब भी हथियारों की अपनी आधे से अधिक आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर है।    

नॉर्वे की विदेश मंत्री एनिकेन अगले हफ्ते भारत आएंगी
नॉर्वे की विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड 25 से 27 अप्रैल तक भारत की यात्रा पर आएंगी, जिस दौरान वह रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेंगी और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत के साथ बातचीत करेंगी।
यात्रा की घोषणा करते हुए नॉर्वे के दूतावास ने कहा कि यह नॉर्डिक देश महासागरों, स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु और पर्यावरण सहित अन्य मुद्दों पर भारत के साथ सहयोग करता है। उसने कहा कि दोनों देशों के बीच एक बढ़ता हुआ और व्यापक व्यापार सहयोग है और इसके अलावा वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक साथ हैं।
दूतावास द्वारा जारी एक बयान में हुइटफेल्ड को उद्धृत करते हुए कहा गया, ‘नॉर्वे और भारत की जलवायु और पर्यावरण पर समान महत्त्वाकांक्षाएं हैं। इस क्षेत्र में भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन उत्पादन के बड़े पैमाने पर विकास की आवश्यकता है, जिसके लिए देश को विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है। यह नॉर्वे के व्यापार और उद्योग के लिए व्यापक अवसर देता है और इसलिए नॉर्वे की कई कंपनियां यात्रा में हिस्सा लेंगी।’ बयान में कहा गया है कि रायसीना डायलॉग में भाग लेने के अलावा वह राजनीतिक वार्ता भी करेंगी। इसमें कहा गया कि नॉर्वे का लक्ष्य मजबूत बहुपक्षीय सहयोग, अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली और कानूनी व्यवस्था में योगदान देने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाना है।     भाषा

First Published - April 21, 2022 | 12:13 AM IST

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