मलेशिया की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को केलंतन राज्य द्वारा बनाए गए शरिया आधारित करीब एक दर्जन कानूनों को रद्द करते हुए कहा कि ये संघीय प्राधिकार में अतिक्रमण करते हैं। इस फैसले की इस्लामिक कट्टरपंथियों ने निंदा की है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे देश भर में धार्मिक अदालतें कमजोर हो सकती हैं।
नौ सदस्यीय संघीय न्यायालय ने 8-1 के बहुमत से विपक्ष द्वारा संचालित केलंतन राज्य सरकार द्वारा बनाए गए 16 कानूनों को अमान्य करार दिया, जिसमें कुकर्म, यौन उत्पीड़न, अनाचार और ‘क्रॉस ड्रेसिंग’ (विपरीत लिंग से संबंधित कपड़े पहनना) से लेकर झूठे सबूत देने तक के अपराधों के लिए दंड का प्रावधान किया गया था।
अदालत ने कहा कि राज्य इन विषयों पर इस्लामी कानून नहीं बना सकते, क्योंकि वे मलेशियाई संघीय कानून के अंतर्गत आते हैं। मलेशिया में दो स्तरीय कानून प्रणाली है, जिसमें शरिया के तहत मुस्लिमों के व्यक्तिगत और पारिवारिक मामले आते हैं और सिविल कानून भी हैं। मलय जातीय समूह की परिभाषा के तहत सभी लोगों को मलेशियाई कानून के तहत मुस्लिम माना जाता है।
देश की 3.3 करोड़ आबादी में से दो तिहाई आबादी मलय जातीय समूह की है, जबकि बड़ी संख्या में चीनी और भारतीय अल्पसंख्यक भी देश में रहते हैं। शरिया इस्लामी कानून है, जो कुरान और हदीस पर आधारित हैं। अदालत में कानूनों को चुनौती 2020 में ग्रामीण पूर्वोत्तर राज्य केलंतन की दो मुस्लिम महिलाओं ने दी थी।
राज्य की कुल आबादी में 97 प्रतिशत मुस्लिम हैं। केलंतन पर 1990 से रूढ़िवादी पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी या पीएएस का शासन रहा है। पीएएस के सैकड़ों समर्थक शुक्रवार को अदालत के बाहर जमा हो गए और शरिया कानूनों की रक्षा करने की मांग की।
पीएएस के महासचिव तकियुद्दीन हसन ने फैसले के बाद अदालत की इमारत के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज हम बहुत दुखी हैं। यह इस्लामिक शरिया कानून के लिए काला शुक्रवार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जब एक इलाके के लिए शरिया कानून अवैध हो गया, तो इसका अभिप्राय है कि अन्य राज्यों के शरिया कानूनों को भी यही खतरा हो सकता है।’’
पीएएस मलेशियाई संसद में विपक्ष में है और यह सबसे बड़ी पार्टी है। पार्टी का मलेशिया के 13 में से चार राज्यों पर शासन है। पीएएस सख्त इस्लामी कानूनों का समर्थन करती है। वह हुदूद नामक आपराध संहिता लागू करने की मांग कर रही थी, जिसमें चोरी के लिए अंग-भंग और व्यभिचार के लिए पत्थर मारकर हत्या जैसे दंड शामिल थे। इसे संघीय सरकार ने अवरुद्ध कर दिया था।