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पहली बार किसी देश के लिए खुला बाजार

Last Updated- December 11, 2022 | 7:47 PM IST

अपने व्यापार नीति रुख में बड़ा परिवर्तन करते हुए भारत ने अपने केंद्रीय खरीद बाजार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के लिए खोल दिया है। सरकार ने यह कदम यूएई के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते के तहत उठाया है। इसके तहत यूएई की कंपनियों के साथ केंद्र सरकार की निविदाओं में बोली लगाने के लिए भारतीय कंपनियों जैसा व्यवहार किया जाएगा।
भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (यूएई) की विषय वस्तु से पता चलता है, ‘दोनों पक्ष व्यापारिक संबंधों में सरकारी खरीद के महत्त्व को समझते हैं और दोनों ने अपने सरकारी खरीद बाजारों को प्रभावी, पारस्परिक और क्रमिक आधार पर खोलने का उद्देश्य बनाया है। इसका मकसद दोनों देशों में परस्पर आधार पर आपूर्तिकर्ताओं के लिए उपलब्ध प्रतिस्पर्धी अवसर में इजाफा करना है।’  
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा कि सार्वजनिक खरीद पर भारत का अब तक का जो मौलिक रुख रहा है उसमें परिवर्तन किया गया है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह का रुख फिसलन भरी ढलान का काम करती है। जब एक बार आप दिखाते हैं कि आप कुछ व्यापारिक साझेदारों के साथ सरकारी खरीद में हिस्सेदारी पर सहमत हैं तो आपको आगामी सभी मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) मसलन ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ आदि के साथ भी इसी तरह की प्रतिबद्घता दिखानी पड़ सकती है। इसके अलावा सरकारी खरीद पर बहुपक्षीय समझौते से जुडऩे के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से भी दबाव पड़ सकता है जिसका हम विरोध करते रहे हैं।’
यूएई के लिए सरकारी खरीद का द्वारा खोलने से जापान स्वाभाविक रूप से इसका लाभार्थी बन जाएगा।  धर ने कहा, ‘भारत-जापान सीईपीए में एक प्रावधान किया गया है कि यदि भारत अपने किसी व्यापारिक साझेदार के लिए सरकारी खरीद के बाजार को खोलता है तो उसे जापान के लिए भी वही रुख अपनाना होगा।’     
भारत और संयुक्त अरब अमीरात दोनों ही अब अपने घरेलू आपूर्तिकर्ताओं को सुरक्षित करने या दूसरे देश के आपूर्तिकर्ताओं के साथ भेदभाव करने के लिए कोई तकनीकी प्रावधान नहीं करने के लिए मजबूर हो चुके हैं।

First Published - April 18, 2022 | 1:40 AM IST

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