भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) शुक्रवार को मुक्त व्यापार समझौते पर औपचारिक बातचीत शुरू करने जा रहे हैं। यह वार्ता 9 साल से अटकी है। जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के समाप्त होने के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी बातचीत के लिए ब्रशेल्स पहुंचेंगे।
यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ नए सिरे से बातचीत ऐसे समय में शुरू होने जा रही है, जब भारत ने पहले ही संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्रमशः 3 महीने और 6 महीने तक बातचीत के बाद दो व्यापार समझौते कर
लिए हैं। वहीं ब्रिटेन के साथ समझौता होने जा रहा है। जहां तक 27 देशों के बीच व्यापार वार्ता का संबंध है, विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता लंबी चलेगी क्योंकि अहम मतभेद को दूर करना जरूरी है। हालांकि दोनो पक्षों ने 2024 की शुरुआत तक समझौता करने का लक्ष्य रखा है।
कट्स इंटरनैशनल के सेक्रेटरी जनरल प्रदीप एस मेहता ने कहा, ‘यूरोपीय संघ के साथ 9 साल के उतार चढ़ाव के बाद बातचीत शुरू करना और हाल में ईयू-भारत व्यापार और तकनीक परिषद की शुरुआत अहम है। बहरहाल बातचीत बनाए रखे जाने की जरूरत है। दोनों देशों के बीच अहम मतभेद हैं और सभी तीन मोर्चों- वस्तुओं, सेवाओं और बौद्धिक संपदा (आईपी) के मोर्चे पर खाईं पाटने की जरूरत है।’
भारत और ईयू व्यापार, भौगोलिक संकेतक (जीआई) और निवेश को 3 समझौतों में विभाजित कर संतुलित और समग्र व्यापार समझौता पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए हैं। व्यापक आधार पर व्यापार और निवेश समझौता (बीआईटीए) की दिशा में 2007 में शुरुआत की गई थी। लेकिन यह बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। 16वीं और आखिरी औपचारिक चर्चा 2013 में हुई थी।
उसके बाद दोनों पक्षों ने भारत में 2014 में हुए चुनाव के बाद औपचारिक बातचीत फिर से शुरू करने की कवायद की, लेकिन कोई राह नहीं निकल सकी। इसकी प्रमुख वजह द्विपक्षीय निवेश समझौते को लेकर असहमति, ऑटोमोबाइल्स और अल्कोहलिक पेय पर शुल्क में कमी शामिल है।
अटकी हुई बातचीत नए सिरे से शुरू करने से भारत और ईयू के संबंधों को नई गति मिलेगी। खासकर बदले भौगोलिक परिदृश्य को देखते हुए यह अहम है क्योंकि ब्रिटेन व्यापार ब्लॉक से बाहर हो गया है और चीन से आपूर्ति शृंखला में विविधीकरण हो रहा है।