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Nobel Prize 2023: आज से शुरू हो जाएगी नोबेल पुरस्कारों की घोषणा, क्या आपको पता हैं इस अवॉर्ड से जुड़ी ये अहम बातें…

साल 1901 से, आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की इच्छाओं के अनुरूप, पुरुषों, महिलाओं और संगठनों को नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते रहे हैं।

Last Updated- October 02, 2023 | 4:26 PM IST
Nobel prize

Nobel Prize 2023 के विजेताओं के नाम की घोषणा आज से शुरू हो रही है। सबसे पहले मेडिकल के क्षेत्र में दिए जाने वाले इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता की घोषणा सोमवार को होगी। बाकी क्षेत्रों के लिए इस पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा अगले 6 दिनों में की जाएगी।

साल 1901 से, आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की इच्छाओं के अनुरूप, पुरुषों, महिलाओं और संगठनों को उनके ऐसे कार्यों के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते रहे हैं, जिससे मानव जाति को को बड़ी तरक्की मिली है।

इन विजेताओं ने नोबेल पुरस्कार तो जीता मगर समारोह में नहीं हुए शामिल

नोबेल पुरस्कार विजेता बनना बड़े ही गर्व की बात है, मगर इन विजेताओं की किस्मत शायद खराब थी कि वह अपना अवॉर्ड लेने के लिए समारोह में हिस्सा नहीं ले सके। साल 1901 के बाद से, छह नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं को ओस्लो में पुरस्कार समारोह में भाग लेने से रोका गया है।

सबसे पहले 1936 में, जर्मन पत्रकार और शांतिवादी कार्ल वॉन ओस्सिएट्ज़की को नाज़ी एकाग्रता शिविर में हिरासत में लिया गया था।

1975 में, सोवियत नेताओं ने रूसी असंतुष्ट आंद्रेई सखारोव को अपना पुरस्कार लेने के लिए ओस्लो जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। समारोह में उनका प्रतिनिधित्व उनकी पत्नी येलेना बोनर ने किया।

1983 में, पोलिश संघ के नेता लेक वालेसा ने ओस्लो आने के निमंत्रण को इस डर से अस्वीकार कर दिया कि उन्हें पोलैंड में वापस जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

1991 में, म्यांमार की विपक्षी नेता आंग सान सू की ने जब पुरस्कार जीता वह उस समय अपने घर में नजरबंद थी। जुंटा द्वारा यात्रा की अनुमति दिए जाने पर, उन्होंने अपने देश वापस न लौट पाने के डर के कारण समारोह में जाने से मना कर दिया।
2010 में, चीन से असंतुष्ट लियू शियाओबो जेल में थे। जहां पुरस्कार रखा गया था, उसके बगल में उनकी कुर्सी खाली रखी गई थी।

2022 में, बेलारूसी मानवाधिकार प्रचारक एलेस बायलियात्स्की जेल में थे। उनका प्रतिनिधित्व उनकी पत्नी नतालिया पिंचुक ने किया।

इन विजेताओं को उनकी मौत के बाद मिला नोबेल पुरस्कार

1974 से, नोबेल फाउंडेशन के कानून के मुताबिक पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जा सकता है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति की अक्टूबर में घोषणा के समय और दिसंबर में औपचारिक पुरस्कार समारोह के बीच मृत्यु हो जाती है तो उसे सम्मानित किया जा सकता है।

इस नियम में बदलाव से पहले, केवल दो लोगों ने मरणोपरांत नोबेल पुरस्कार जीता था। उनमें से एक थे संयुक्त राष्ट्र के स्वीडिश महासचिव डैग हैमरस्कजॉल्ड, जिनकी 1961 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, लेकिन उन्हें उसी साल बाद में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1931 में नोबेल साहित्य पुरस्कार मरणोपरांत एक अन्य स्वीडिश नागरिक एरिक एक्सल कार्लफेल्ट को दिया गया।

इन महिलाओं ने जीता नोबेल पुरस्कार

शुरुआती सालों की तुलना में पिछले दशकों में विजेताओं के बीच महिला प्रतिनिधित्व लगातार बढ़ रहा है, 60 महिलाओं ने नोबेल पुरस्कार जीता है। मगर यह अब भी लगभग छह प्रतिशत के आस-पास हैं। लेकिन चीजें पहले से बेहतर हो रही हैं।

2000 के बाद से, 31 महिलाओं को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो पिछले दो दशकों की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा है।

2009 में, पांच महिलाओं को नोबेल पुरस्कार मिला, जिसमें अर्थशास्त्र में पहली महिला पुरस्कार विजेता अमेरिकी एलिनोर ओस्ट्रोम भी शामिल थीं। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसकी बराबरी होना अभी बाकी है।

गणित के जादूगरों को क्यों नहीं मिलता नोबेल पुरस्कार?

इस बात पर लंबे समय से बहस चल रही है कि गणित के लिए कोई पुरस्कार क्यों नहीं बनाया गया। लंबे समय से अफवाहें थीं कि ऐसा इसलिए था क्योंकि अल्फ्रेड नोबेल की प्रेमिका का गणितज्ञ गोस्टा मिट्टाग-लेफ़लर के साथ अफेयर था। मगर सवाल यह है कि 1980 के दशक में, रिसर्चर ने इन अफवाहों को बेवजह बताया। फिर भी गणित के लिए कोई पुरस्कार क्यों नहीं है?

इसके दो संभावित स्पष्टीकरण हैं, 1895 में, जब नोबेल ने अपनी वसीयत लिखी, स्वीडन में एक गणित पुरस्कार पहले से दिया जा रहा था और उन्हें दूसरे पुरस्कार की कोई जरूरत नहीं महसूस हुई। 20वीं सदी में गणित के बजाय विज्ञान को ज्यादा तवज्जो दी जा रही थी, क्योंकि आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में गणित की बजाय विज्ञान का प्रभाव ज्यादा था। मानवता के लिए गणित का योगदान उतना स्पष्ट नहीं था जितना आज है।

भव्य पुरस्कार समारोह

पुरस्कारों की घोषणा अक्टूबर के शुरुआत में की जाती है, लेकिन पुरस्कार समारोह हर साल 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु की सालगिरह पर ओस्लो और स्टॉकहोम में होता हैं।

स्टॉकहोम में, जहां मेडिकल, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, लिटरेचर और इकॉनमी के पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार समारोह के बाद सिटी हॉल में राजनयिक दल के राजा कार्ल XVI गुस्ताफ और रानी सिल्विया सहित लगभग 1,300 मेहमानों के लिए एक शानदार भोज का आयोजन किया जाता है।

दूसरी ओर, ओस्लो में, किंग हेराल्ड और रानी सोनजा, राजनयिकों और मशहूर हस्तियों सहित लगभग 1,000 मेहमान सिटी हॉल में पुरस्कार समारोह में भाग लेते हैं, जिसके बाद ग्रैंड होटल में एक छोटा भोज होता है।

First Published - October 2, 2023 | 4:05 PM IST

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