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Pakistan: शहबाज शरीफ का दावा नवाज शरीफ चौथी बार बनेंगे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

नवाज के छोटे भाई शहबाज ने आठ फरवरी को संपन्न चुनावों में हुई धांधली के आरोप के बारे में कहा कि कई क्षेत्रों में पीएमएल-एन के दिग्गज हार गए और निर्दलीय जीत गये।

Last Updated- February 13, 2024 | 8:20 PM IST
Pakistan: Nawaz Sharif's nomination approved from Lahore seat of National Assembly

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को एक बार फिर पुष्टि की कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के प्रमुख नवाज शरीफ रिकॉर्ड चौथी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। शहबाज ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैंने कहा था कि नवाज शरीफ चौथी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। और मैं आज भी इस बात पर कायम हूं कि वह चौथी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या अब वह खुद इस शीर्ष पद के लिए पसंदीदा नेता नहीं हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री पद के लिए मेरे उम्मीदवार नवाज शरीफ हैं।’’ नवाज शरीफ ने पहली बार 1990 में सत्ता संभाली थी, लेकिन तीन साल बाद भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा था।

भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से उनका राजनीतिक करियर बहुत प्रभावित हुआ। वह 1997 में दूसरी बार सत्ता में आए और 1999 में उस वक्त तक प्रधानमंत्री पद पर रहे जब सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को पद से हटाने की साजिश के बाद सैन्य तख्तापलट में उन्हें अपदस्थ कर दिया गया। एक दशक से अधिक समय के बाद उन्होंने 2013 में सत्ता में वापसी की।

हालांकि, उन पर भ्रष्टाचार के नये आरोप लगे और विदेशों में कंपनियां रखने के मामले में उनके बच्चों के नाम 2016 के पनामा पेपर्स लीक में सामने आए। बाद में उन्हें भ्रष्टाचार के अलग-अलग आरोपों में दोषी ठहराया गया और जीवन भर के लिए पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया।

ऐसा तीसरी बार था, जब वह अपना कार्यकाल पूरा करने में विफल रहे। नवाज के छोटे भाई शहबाज ने आठ फरवरी को संपन्न चुनावों में हुई धांधली के आरोप के बारे में कहा कि कई क्षेत्रों में पीएमएल-एन के दिग्गज हार गए और निर्दलीय जीत गये। उन्होंने कहा, ‘‘खैबर पख्तूनख्वा में, बहुमत निर्दलीय उम्मीदवारों का है… क्या इसका मतलब यह है कि वे धांधली करके जीते हैं।

सिंध एवं बलूचिस्तान में निर्दलीयों का कोई संकेत नहीं था।’’ अप्रैल 2022 में इमरान खान सरकार के अपदस्थ होने के बाद 16 महीने तक सरकार का नेतृत्व करने वाले शहबाज ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों से भी कहा कि अगर उनके पास बहुमत है तो वे सरकार बनाएं।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर पीटीआई-समर्थित उम्मीदवारों के पास इस्लामाबाद में सरकार बनाने के लिए बहुमत है तो उन्हें कोशिश करनी चाहिए और हम विपक्ष में बैठेंगे। अगर वे असफल होते हैं, तो हम देश को संकट से बाहर निकालने के लिए पीपीपी, एमक्यूएम-पी और जेयूआई-एफ जैसी अन्य पार्टियों के साथ एक गठबंधन बनाएंगे।’’ पीएमएल-एन अध्यक्ष ने आगे कहा कि 2018 में पार्टी की हार के बाद उसने किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया या कोई धरना-प्रदर्शन नहीं किया।

आठ फरवरी के आम चुनावों में 266-सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीटीआई-समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीट जीतीं। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन ने 75 सीट और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 54 सीट जीती हैं।

शहबाज ने पिछले चुनावों में कथित धांधली का भी जिक्र किया और पूछा, “ऐसा कौन सा चुनाव है जहां धांधली के आरोप नहीं लगाए गए?” उन्होंने कहा, “एक तरफ धांधली के आरोप लग रहे हैं [लेकिन] फिर निर्दलीय जीत रहे हैं और हम हार रहे हैं। यह विरोधाभासी है।”

शहबाज ने कहा, “अब चुनाव हो गए हैं और यह साबित हो गया है कि राजनीतिक दलों में से, पीएमएल-एन सबसे बड़ी पार्टी है। यदि आप निर्दलीयों की गिनती करें, तो उनकी संख्या अधिक है, लेकिन राजनीतिक दलों में पीएमएल-एन नंबर एक है।’’ शहबाज ने यह भी आरोप लगाया कि अनधिकृत लोगों ने मतदाताओं को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में वोट डालने की अनुमति नहीं दी, जिससे पीटीआई-समर्थित उम्मीदवारों को फायदा हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी भी जांच होनी चाहिए कि स्वात में आतंकवादियों को कौन लेकर आया।’’ पीएमएल-एन अध्यक्ष ने कहा, “अल्लाह के नाम पर, पाकिस्तान के नाम पर, हमें दुनिया को दिखाना चाहिए कि हमने सबक सीख लिया है… और पाकिस्तान को (अल्लामा) इकबाल और कायद-ए- आजम (मोहम्मद अली जिन्ना) द्वारा कल्पित देश बनाना चाहिए।”

पीएमएल-एन के एक सूत्र ने अलग से कहा कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की राय है कि नवाज शरीफ को संघीय सरकार का नेतृत्व खुद करना चाहिए और शहबाज शरीफ को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। सूत्र ने कहा कि पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच दो संभावित मोर्चों पर गतिरोध पैदा हो सकता है, पहला- अगर पीपीपी बिलावल के लिए प्रधानमंत्री पद चाहती है और दूसरा- अगर वे प्रधानमंत्री के लिए नवाज के नाम पर असहमत होते हैं।

पीपीपी के वरिष्ठ नेता फैसल करीम कुंडी का मानना है कि अगर बिलावल भुट्टो को प्रधानमंत्री का पद नहीं मिलता है तो उनकी पार्टी को पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।

First Published - February 13, 2024 | 8:20 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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