जापान में इस सप्ताह की शुरुआत में आए विनाशकारी भूकंप के कारण पश्चिमी तट पर मलबे में फंसे जीवित लोगों की तलाश के लिए बचावकर्मी कड़ाके की ठंड में कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। भूकंप के कारण कई मकान पूरी तरह से ढह गए, जिसमें कम से कम 78 लोगों की मौत हो गई और 51 लोग लापता हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, भारी बारिश और संभावित बर्फबारी के मद्देनजर भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। आधिकारिक तौर पर तीन शहरों में रातोंरात जारी की गई लापता लोगों की सूची में ऐसे व्यक्तियों की संख्या 15 से बढ़कर 51 हो गई, जिसमें 13 वर्षीय एक लड़का भी शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि लापता बताए जा रहे कुछ लोगों को ढूंढ लिया गया है लेकिन अभी और लोगों के नाम सामने आ रहे हैं।
इशिकावा प्रान्त और आस-पास के इलाके सोमवार को 7.6 तीव्रता के भूकंप के झटकों से दहल गए थे। भूकंप का केंद्र टोक्यो से लगभग 300 किलोमीटर दूर नोटो के पास था। भूकंप के बाद, समुद्र में तीन फुट से अधिक ऊंची लहरें उठीं, जिसके बाद सुनामी की चेतावनी जारी की गई।
विशेषज्ञों का कहना है कि बचाव अभियान के लिए शुरुआती 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उसके बाद, मलबे में फंसे लोगों के जीवित बचे रहने की संभावना बहुत कम हो जाती है। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने बुधवार को कहा था, ‘‘40 घंटे से अधिक समय बीत चुका है। हम समय से लड़ रहे हैं।’’
उन्होंने गुरुवार को बचाव कार्यों के लिए भेजे जाने वाले सैनिकों की संख्या एक हजार से बढ़ाकर 4,600 करने की घोषणा की। नोटो प्रायद्वीप के दुर्गम स्थान होने की वजह से सैनिकों के वहां पहुंचने में मुश्किलें पेश आ रही हैं। कुछ क्षेत्रों में पानी, बिजली और दूर संचार सेवाएं अभी भी ठप हैं।
इशिकावा के अधिकारियों ने गुरुवार को मृतकों की संख्या 78 पहुंचने की घोषणा की। मृतकों में से 44 लोग वाजिमा के, 23 लोग सुजु के और शेष व्यक्ति पांच शहरों के हैं। अधिकारियों के मुताबिक, भूकंप में 330 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कम से कम 25 गंभीर रूप से घायल हैं।