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दक्षिण कोरिया : विकास में आगे तो घूसखोरी में भी अव्वल

Last Updated- December 05, 2022 | 10:03 PM IST

हाल ही में दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग के ग्रुप चेयरमैन ली कुन ही पर कर चोरी और विश्वासघात के आरोप लगाए हैं।


इससे पहले भी उन पर रिश्वत देने के गंभीर आरोप लग चुके हैं। हालांकि ली को तो रिश्वत वाले मामले में छोड़ दिया गया है लेकिन दक्षिण कोरिया में रिश्वत देने की परंपरा की जड़ें काफी गहरे तक समाई हैं।


यकीन नहीं आता तो यहां के एक रियल एस्टेट डेवलपर केंट डेवी से पूछिए जो पैसे के इस खेल को घोर पूंजीवाद की संज्ञा देते हैं। दिसंबर 2003 में कैलिफोर्निया की एक शॉपिंग मॉल बनाने वाली कंपनी एंटरटेनमेंट डेवलपमेंट ग्रुप इंक ने कोरियाई बाजार से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया।


डेवी जो कि पहले रियल एस्टेट कमेटी ऑफ अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन कोरिया के सह अध्यक्ष रह चुके हैं इस कंपनी में कार्यकारी थे। डेवी बताते हैं कि दरअसल स्थानीय अधिकारी कंपनी पर अपने कोरियाई सहयोगी का नाम बताने के लिए दबाव डाल रहे थे जिससे रिश्वत ली जा सके और इस सबके बीच 170 करोड़ डॉलर की एक परियोजना बीच में ही अटक गई। इस तरह के अनेक उदाहरण मिल जाएंगे। दक्षिण कोरिया में काम करने के दो तरीके हैं।


एक सीध-साफ तरह से काम निपटाना और दूसरा रिश्वत का टेढ़ा रास्ता। जहां तक सैमसंग का सवाल  है तो दक्षिण कोरिया के इस सबसे बड़े व्यावसायिक समूह के खिलाफ उस समय जांच पड़ताल शुरू की गई जब नागरिक समूहों और कै थोलिक पादरियों ने दबाव बनाया। सरकार ने एक विशेष वकील के जरिए मामले की जांच का आदेश दिया।


हालांकि रिश्वत देने के सुबूतों का खुलासा नहीं किया लेकिन ली पर कर चोरी करने का आरोप जड़ दिया। साथ ही ली पर पद के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया गया है। अब इस मामले में फैसला जो भी हो लेकिन अगर सैमसंग के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होती है तो इससे देश में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली इस निजी कंपनी के लिए मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं।


दूसरी तरफ अगर जांच के नाम पर महज लीपा पोती होती है तो इससे बाहरी निवेशकों की नजर में कोरियाई कंपनियों पर सवालिया निशान लग सकता है।भ्रष्टाचार मीटर पर कोरिया का हाल ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के हिसाब से व्यापार करने के लिए एक साफ सुथरे देश के रूप में कोरिया का ग्राफ पिछले दो सालों में काफी गिर गया है। यानी भ्रष्टाचार मीटर में कोरिया का स्थान काफी ऊंचा है।


डेवी कहते हैं कि इस तरह की हालत कोरिया के लिए फायदेमंद साबित होने वाली नहीं है। कोरयाई विश्वविद्यालय के बिजनेस स्कूल के डीन जैंग हेसंग कहतें हैं कि कंपनियां या तो सरकारी नीति अपने पक्ष में कराने के लिए रिश्वत देती हैं या फिर कानून बनाने की प्रकिया को प्रभावित करने के लिए।


यहां तक कि अगर कोई बात न भी हो तब भी प्रभावशाली लोगों को पैसे देने का सिलसिला चलता रहता है जैसे बच्चों की शादी के मौके पर पैसे देना। हालांकि सरकारी कर्मचारियों से अपने पक्ष में फैसला करवाना गैर कानूनी है लेकिन ज्यादातर कोरियाई नागरिकों की नजर में छोटे मोटे तोहफे देना तो जरूरी है।


कार्यकारियों और विश्लेषकों पर किए गए भ्रष्टाचार संबंधी एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में दक्षिण कोरिया को मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका के साथ संयुक्त रूप से 43 वां स्थान मिला। यह सर्वे 180 देशों में किया गया था जबकि 2006 में उसका स्थान 42 और साल 2005 में 40वां था। यानी भ्रष्टाचार मीटर का पारा लगातार चढ़ता जा रहा है।


डेनमार्क, फिनलैंड और न्यूजीलैंड पहले नंबर पर रहे और सोमालिया का आखिरी स्थान रहा। सियोल की एक विधि कंपनी ह्वांग मॉक पार्क के कार कहते हैं कि भ्रष्टाचार गैर कानूनी है लेकिन केवल कागजों पर। सच तो यह है कि कोरियाई समाज में यह एक जरुरत बन चुका है।

First Published - April 18, 2008 | 10:30 PM IST

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