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श्रीलंका:राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने संविधान में 13वें संशोधन पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक आयोजित की

Last Updated- December 14, 2022 | 4:33 PM IST

श्रीलंका:राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने संविधान में 13वें संशोधन पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक आयोजित की
PTI /  December 14, 2022

कोलंबो, 14 दिसंबर (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे द्वारा बुलायी गयी एक सर्वदलीय बैठक में संविधान के 13वें संशोधन पर चर्चा की गई। नेताओं ने बुधवार को यह जानकारी दी।

भारत ने अल्पसंख्यक तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता देने की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करने के लिए इस संशोधन का सुझाव दिया है।

बैठक में हिस्सा लेने वाले तमिल राजनीतिक दलों ने सरकार से उत्तरी प्रांतीय परिषद चुनाव कराने का आग्रह किया था।

तमिल प्रोग्रेसिव एलायंस के नेता मानो गणेशन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ 13ए पहले से ही संविधान का हिस्सा है और इस तथ्य पर सभी दल सहमत हैं।’’

भारतीय मूल के पश्चिमी प्रांत में बसे तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले गणेशन ने कहा कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने उनसे तमिल समुदाय या भारतीय मूल के तमिलों की ओर से 13ए मुद्दे पर प्रस्ताव भेजने को कहा है।

भारत 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाए गए 13वें संशोधन को लागू करने के लिए श्रीलंका पर दबाव बना रहा है। 13वें संशोधन में तमिल समुदाय को शक्तियों का विकेंद्रीकरण करने का प्रावधान है।

गणेशन ने बताया कि राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे 13ए संशोधन को लागू करने के लिए सहमत हैं।

उन्होंने सरकार से उत्तरी एवं पूर्वी प्रांतों में प्रांतीय परिषद चुनाव कराने का आग्रह किया।

उत्तरी प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री सी. वी. विग्नेश्वरन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हमने सरकार द्वारा किये जाने वाले भूमि अधिग्रहण का मुद्दा उठाया। वे सरकारी विभागों के नाम पर भूमि का अधिग्रहण कर रहे हैं। इसे रोका जाना चाहिए और भूमि संबंधी अधिकार प्रांतीय परिषद को दिया जाना चाहिए।’’

उन्होंने बताया कि बैठक में तमिल अल्पसंख्यक संबधी अन्य मुद्दों और कठोर आतंकवाद रोधी कानून के तहत पकड़े गए राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर भी चर्चा की गयी।

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने तमिल अल्पसंख्यकों की राजनीतिक स्वायत्तता की मांग पर आम सहमति बनाने के मकसद से मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी थी।

विक्रमसिंघे ने कहा था कि वह अगले साल चार फरवरी को श्रीलंका की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक इस मुद्दे के हल होने की घोषणा करना चाहते हैं।

वहीं, सिंहली समर्थक बहुसंख्यक राष्ट्रवादी दलों ने मंगलवार की वार्ता पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। गणेशन ने कहा कि बैठक में सभी सिंहली दल मौजूद रहे। केवल जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) बैठक में शामिल नहीं हुई।

ज्यादातर सिंहली कट्टरपंथी द्वीपीय देश की 1987 में स्थापित प्रांतीय परिषद प्रणाली के पूर्ण उन्मूलन की वकालत करते रहे हैं। श्रीलंका में नौ प्रांतीय परिषद हैं।

सिंहली समुदाय में ज्यादातर बौद्ध हैं। श्रीलंका की 2.2 करोड़ की आबादी के 75 फीसदी लोग सिंहली है जबकि तमिल 15 प्रतिशत हैं।

विक्रमसिंघे ने 10 नवंबर को संसद को संबोधित करते हुए किसी का नाम लिए बगैर कहा था कि श्रीलंका को अपने आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

भाषा

गोला सुभाष

First Published - December 14, 2022 | 11:03 AM IST

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