प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा से पहले भारत ने रविवार को एक बार फिर यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने और संघर्ष का समाधान बातचीत एवं कूटनीति के जरिये निकालने पर जोर दिया। उसने कहा कि इस संकट पर उसके (भारत) रुख की सहयोगी देशों ने सराहना की है। प्रधानमंत्री की सोमवार को शुरू हो रही तीन देशों की यात्रा के दौरान ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक संबंध, टिकाऊ विकास, जलवायु एवं हरित ऊर्जा सहित विविध क्षेत्रों में विस्तृत चर्चा होगी।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान इन देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत के दौरान यूक्रेन का मुद्दा भी चर्चा में उठेगा। क्वात्रा ने कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में ऊर्जा सुरक्षा का मुद्दा महत्त्वपूर्ण है और यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ बैठक में यह विषय चर्चा के लिए आएगा। यूक्रेन संघर्ष को लेकर एक सवाल के जवाब में क्वात्रा ने कहा, ‘इस विषय पर हमारा रुख स्पष्ट है और अनेक मंचों पर इसे व्यक्त किया गया है कि युद्ध समाप्त होना चाहिए तथा इसका समाधान बातचीत एवं कूटनीति के जरिये निकाला जाना चाहिए।’
विदेश सचिव ने कहा, ‘मेरा ख्याल है कि यह बात हमारे यूरोपीय सहयोगी तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे सहयोगियों के समक्ष पूर्ण रूप से स्पष्ट है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में उन्हें कोई शंका होगी।’ उन्होंने यूक्रेन के मुद्दे पर भारत के रुख की स्पष्टता, महत्त्व एवं सकारात्मक पहलू को रेखांकित किया, साथ ही जोर दिया कि इस पर किसी को कोई शंका नहीं होनी चाहिए। क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की तीन देशों की यात्रा के दौरान इन तीन यूरोपीय देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार सहित कारोबार, निवेश, स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी, रक्षा सहित अन्य क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रमों पर चर्चा के दौरान यूक्रेन का मुद्दा भी सामने आएगा। क्वात्रा ने कहा कि भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोगी, यूक्रेन के मुद्दे पर भारत के रुख को समझते हैं और यहां तक कि इसकी सराहना भी करते हैं।
मोदी अपनी तीन दिवसीय यात्रा के प्रथम चरण में 2 मई को जर्मनी और इसके बाद वे डेनमार्क और फ्रांस जाएंगे। यह इस साल होने वाली उनकी पहली विदेश यात्रा है। उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन संकट जारी है और रूस की कार्रवाई ने लगभग पूरे यूरोप को उसके विरुद्ध एकजुट कर दिया है। वहीं, विदेश सचिव क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान ऊर्जा सुरक्षा चर्चा का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु होगा तथा वर्तमान परिस्थितियों में इसका काफी महत्त्व भी है।
यूक्रेन पर हमले के मद्देनजर ऊर्जा को लेकर यूरोप की रूस पर निर्भरता को खत्म करने के प्रयासों के मुद्दे पर हाल के दिनों में काफी चर्चा हो रही है। विदेश सचिव ने ऊर्जा सुरक्षा के बदलते आयामों तथा भारत जैसे विकासशील देशों पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया और इस क्षेत्र की चुनौतियों एवं इससे निपटने के उपायों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि संपूर्ण चर्चा के दौरान यह एक प्रमुख विषय रहेगा। लेकिन कोई एक मुद्दा चर्चा के ढांचे को परिभाषित नहीं कर सकता है।’
यात्रा के पहले चरण में मोदी बर्लिन में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ वार्ता करेंगे। दोनों नेता छठी भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के कई मंत्री शामिल होंगे। पिछले वर्ष दिसंबर में सत्ता में आए शॉल्ज के साथ यह मोदी की पहली बैठक होगी। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शॉल्ज व्यापारिक सम्मेलन को भी संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। मोदी जर्मनी में भारतीय समुदाय के साथ भी संवाद करेंगे। प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कुछ मंत्रियों के जर्मनी जाने की संभावना है। क्वात्रा ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत से आने वाले महीनों एवं वर्षो में सहयोग के महत्त्वाकांक्षी एजेंडे को आकार प्रदान किया जा सकेगा जिसमें विकास गठजोड़, हरित एजेंडा, कारोबार एवं निवेश संबंध शामिल हैं। अपनी इस यात्रा के दूसरे चरण में मोदी डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के निमंत्रण पर कोपनहेगन जाएंगे, जहां वे दूसरे भारत-नॉर्डिक सम्मेलन में भागीदारी करेंगे। प्रधानमंत्री मोद डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के साथ चर्चा करेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के नेताओं को डेनमार्क के साथ भारत के ‘हरित सामरिक गठजोड़’ में हुई प्रगति की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा दोनों नेता द्विपक्षीय संबंध एवं अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। डेनमार्क में प्रधानमंत्री का नार्वे, स्वीडन, आइसलैंड और फिनलैंड के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का कार्यक्रम है।
क्वात्रा ने कहा कि वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री मोदी की इस पहली यात्रा का महत्त्वाकांक्षी एवं व्यापक एजेंडा है। इसके बाद चार मई को प्रधानमंत्री मोदी वापसी के दौरान पेरिस में रुकेंगे जहां वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे। मैक्रों पिछले सप्ताह हुए चुनाव में दोबारा राष्ट्रपति चुने गए हैं। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस यात्रा से दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय संबंधों को और आगे ले जाने का अवसर मिलेगा।
शांति एवं समृद्धि में यूरोपीय साझेदार प्रमुख साथी: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनका यूरोप का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों एवं विकल्पों का सामना कर रहा है तथा वह भारत के यूरोपीय साझेदारों के साथ सहयोग की भावना को मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शांति और समृद्धि की भारत की चाह में यूरोपीय साझेदार प्रमुख साथी हैं। मोदी ने कहा, ‘उनकी यूरोप यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।’ बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन मुलाकातों के माध्यम से मैं अपने यूरोपीय साझेदारों के साथ सहयोग की भावना को प्रगाढ़ करने की इच्छा रखता हूं। शांति और समृद्धि की भारत की चाह में ये देश महत्त्वपूर्ण साथी हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बैठक में दोनों देशों के कई मंत्री शामिल होंगे। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शॉल्ज व्यापारिक सम्मेलन को भी संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। मोदी जर्मनी में भारतीय समुदाय के साथ भी संवाद करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आईजीसी की बैठक को जर्मनी की नई सरकार के साथ बातचीत के अवसर के रूप में देखते हैं, जो इसके गठन के छह महीने के भीतर हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे मध्यम एवं दीर्घकालीन प्राथमिकताओं की पहचान करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में भारत और जर्मनी ने अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया और वर्ष 2000 से दोनों देश सामरिक सहयोगी हैं। मोदी ने कहा, ‘मैं चांसलर शॉल्ज के साथ सामरिक, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान को लेकर आशान्वित हूं।’ मोदी ने कहा, ‘मैं भारत डेनमार्क कारोबारी बैठक में हिस्सा लूंगा और भारतीय समुदाय के लोगों के साथ भी संवाद करूंगा।’