भारत, रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने अफगानिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का पनाहगाह नहीं बनने देने का बुधवार को संकल्प लिया तथा काबुल में एक खुली और सही मायने में समावेशी सरकार के गठन की अपील की। अफगानिस्तान पर भारत की मेजबानी वाली सुरक्षा वार्ता के अंत में आठों देशों के सुरक्षा अधिकारियों ने एक घोषणापत्र जारी किया, जिसमें फिर से कहा गया कि अफगानिस्तान के भू-भाग का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को पनाह, प्रशिक्षण और वित्तपोषण करने के लिए नहीं करने देना चाहिए। अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में युद्ध प्रभावित देश में खराब होती सामाजिक-आर्थिक एवं मानवीय स्थिति को लेकर चिंता जताई तथा अफगान लोगों को तत्काल मानवीय सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत को रेखांकित किया। सुरक्षा अधिकारियों ने यह भी कहा कि मानवीय सहायता निर्बाध, सीधे तौर पर और आश्वस्त तरीके से अफगानिस्तान को मुहैया की जानी चाहिए तथा अफगान समाज के सभी तबकों के बीच भेदभावरहित तरीके से सहायता वितरित किया जाए। वार्ता में शामिल होने वाले मध्य एशियाई देशों में कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम का न केवल अफगान लोगों के लिए, बल्कि क्षेत्र के लिए भी महत्त्वपूर्ण निहितार्थ हैं। घोषणापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों ने एक बार फिर शांतिपूर्ण, सुरक्षित व स्थिर अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन दोहराया, जबकि संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता तथा उसके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करने पर जोर दिया। इसमें कहा गया है कि उन्होंने अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से उभरी अफगान लोगों की समस्याओं को लेकर भी गहरी चिंता प्रकट की तथा कुंदुज, कंधार और काबुल में आतंकी हमलों की निंदा की। उन्होंने खासतौर पर इस बात पर जोर दिया कि अफगान भू-भाग का इस्तेमाल किसी आतंकी गतिविधि को पनाह, प्रशिक्षण, उसकी साजिश रचे जाने या वित्तपोषण के लिए नहीं होना चाहिए। घोषणापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों ने हर तरह की आतंकवादी गतिविधियों की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के वित्तपोषण सहित उसके सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। घोषणापत्र में आतंकी ढांचों को नष्ट करने तथा कट्टरपंथ की राह पर ले जाने वाली गतिविधियों को रोकने की जरूरत का जिक्र किया गया ताकि अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद का पनाहगाह नहीं बने। अधिकारियों ने क्षेत्र में कट्टरपंथ, चरमपंथ, अलगाववाद और मादक पदार्थों की तस्करी की बुराई के खिलाफ सामूहिक सहयोग की भी अपील की। उन्होंने एक खुली और सही मायने में समावेशी सरकार के गठन पर जोर दिया जो अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हो और जिसमें समाज के सभी तबके का प्रतिनिधित्व हो।
पाकिस्तान के सम्मेलन में भाग लेगा चीन
अफगानिस्तान के हालात पर भारत की मेजबानी में आयोजित सुरक्षा संवाद में भाग नहीं लेने के बाद चीन ने बुधवार को कहा कि वह संघर्ष प्रभावित देश पर अपने सहयोगी पाकिस्तान द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लेगा। डॉन अखबार की खबर के अनुसार इस्लामाबाद में गुरुवार को अमेरिका, चीन और रूस के राजनयिक पाकिस्तान के पड़ोसी अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करेंगे। पाकिस्तान की मेजबानी में हो रहे इस ट्रॉइका प्लस सम्मेलन में सभी चार देशों के विशेष प्रतिनिधि भाग लेंगे।