जैसे ही लगने लगा था कि कम कीमत तय करने के कारण जेपी मॉर्गन की ओर से बेयर स्टनर्स का अधिग्रहण खटाई में पड़ सकता है, मॉर्गन के अध्यक्ष जेमी डिमोन ने कोई देरी नहीं की और तत्काल अचूक निशाना साध दिया।
बेयर स्टनर्स को खरीदने के लिए उन्होंने चार गुना अधिक कीमत चुकाने की घोषणा की है।साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वह कंपनी के 39.5 फीसदी शेयरों को शेयरधारकों के वोट के बगैर खरीदेगी। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अधिग्रहण का काम जल्दी पूरा कर लिया जाएगा और जेपी मॉर्गन के लिए यह भी आसान हो जाएगा कि वह बेयर के ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों और ग्राहकों को बनाए रख पाएगी।
यह अलग बात है कि नौ दिन पहले उन्होंने अधिग्रहण के लिए प्रति शेयर दो डॉलर की रकम तय की थी और बार बार पूछने पर भी उन्होंने यही कहा था कि प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने का सवाल ही नहीं उठता है। न्यूजर्सी स्थित वाइनलैंड में मुख्य निवेश अधिकारी डेविड कोटोक ने कहा कि डिमोन ने सही समय में सही कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि इस अधिग्रहण पर आगे कोई निर्णय लेने में अगर विलम्ब होता तो हो सकता था कि गुस्साए शेयरधारक कोई और विकल्प चुनने के लिए तैयार हो जाते।
डेविड ने साथ ही डिमोन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने जो कदम उठाया है वह किसी भी काबिल मुख्य कार्यकारी अधिकारी से अपेक्षित था।ऐसा नहीं है कि केवल इस बार डिमोन ने अपनी काबिलियत का परिचय दिया है। उनकी प्रशासनिक योग्यता का ही नतीजा है कि अमेरिका में छाए वित्तीय संकट के बावजूद दूसरी कंपनियों की तुलना में जेपी मॉर्गन का प्रदर्शन बहुत बढ़िया नहीं तो कम से कम बेहतर कहा जा सकता है।
कंपनी को पिछले वर्ष बट्टे खाते और ऋण के एवज में 3.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है जो सिटीग्रुप के 22.4 अरब डॉलर और बैंक ऑफ अमेरिका के 7.9 अरब डॉलर की तुलना में काफी कम रहा है।विंसकंसिन स्थित ऑप्टिकल कैपिटल मैनेजमेंट के विलियम फिट्जपैट्रिक के अनुसार यह अधिग्रहण तत्काल उठाए गए कदम का नतीजा नहीं हो सकता है।
उनका मानना है कि जिस तरीके से ऋण बाजार में उथल पुथल जारी थी उससे यह स्पष्ट है कि डिमोन ने बेयर के परिणामों को कुछ हद तक भांप लिया होगा। यही वजह है कि उन्हें लगता है कि इस अधिग्रहण को लेकर विचार डिमाने के मन में काफी समय से चल रहा होगा।
जेपी मॉर्गन का अनुमान है कि उसे बेयर के अधिग्रहण में करीब छह अरब रुपये का खर्च आ सकता है। कंपनी ने गत 29 फरवरी को घोषणा की थी कि होम इक्विटी लोन के कारण पहली तिमाही में उसे 45 करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है जो इस वर्ष के अंत तक बढ़कर 90 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है।
डिमोन ने एक साक्षात्कार में कहा, ”अब हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि हम कारोबार को सफलता के साथ आगे बढ़ा सकें और ज्यादा से ज्यादा अच्छे कर्मचारियों को अपने साथ जोड़े रख सकें।” यही पहली दफा नहीं है जब डिमोन को संकट की घड़ी से गुजरना पड़ा है और उन्होंने अपने प्रयासों से जेपी मॉर्गन को कठिनाइयों से बाहर निकाल
लिया है।
गत वर्ष नवंबर 2006 में जेपी मॉर्गन और सिटाडेल इनवेस्टमेंट ग्रुप एलएलसी ने नुकसान में जा रहे अमरनाथ एडवाइजर्स एलएलसी से ऊर्जा कारोबार इकाई को अपने कब्जे में ले लिया था। ठीक इसके दो दिन बाद डिमोन ने बड़ी चतुराई से 72.5 करोड़ डॉलर में इसे सिटाडेल का बेच दिया।
डिमोन ने अनुबंध हासिल करने और करार करने की कला अपने मार्गदर्शक सैनफोर्ड सैंडी वेल से सीखी है, जिनके साथ मिलकर उन्होंने सिटीग्रुप की स्थापना की थी।यह अलग बात है कि समय के साथ अब सिटीग्रुप के हाल बेहाल हैं और बैंक लगातार घाटे में जा रहा है। कंपनी वित्तीय संकट की मार से परेशान चल रही है।