भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच 18 फरवरी को किया गया मुक्त व्यापार समझौता – व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) संबंधित सभी संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के साथ ही 1 मई से आधिकारिक तौर पर लागू हो गया है।
वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने रविवार को नई दिल्ली में व्यापार समझौते के अतर्गत संयुक्त अरब अमीरात को आभूषण उत्पादों से युक्त वस्तुओं की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर अब व्यापार समझौते के तहत शून्य सीमा शुल्क लगेगा।
भारत से संयुक्त अरब अमीरात को किए जाने वाले निर्यात में रत्नाभूषण क्षेत्र की खासी हिस्सेदारी होती है और इस व्यापार समझौते के तहत शुल्क रियायतों से इस क्षेत्र को महत्त्वपूर्ण रूप से लाभ मिलने की उम्मीद है।
मूल्य के लिहाज से भारत-यूएई के बीच इस सीईपीए से भारत के तकरीबन 90 प्रतिशत निर्यात को लाभ पहुंचेगा।
मूल्य के लिहाज से यूएई भारत के 99 प्रतिशत निर्यात के अनुरूप अपने 97 प्रतिशत से अधिक शुल्कों पर समग्र शुल्क हटाने की पेशकश कर रहा है। भारतीय निर्यातकों को अब चमड़ा, जूते-चप्पल, रत्न एवं आभूषण, फर्नीचर जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों में तत्काल शून्य शुल्क बाजार की पहुंच प्राप्त होगी।
इस व्यापार करार से पांच साल के भीतर वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार का कुल मूल्य बढ़कर 100 अरब डॉलर से अधिक तथा सेवाओं का व्यापार 15 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है।
सुब्रमण्यम ने कहा कि 100 अरब डॉलर तो केवल एक शुरुआत है, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, आने वाले वर्षों में यह बढ़कर 200 अरब डॉलर और 500 अरब डॉलर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 88 दिनों की जिस छोटी-सी अवधि में यह करार किया गया, उसकी वजह से समझौता नए चलन की शुरुआत करने वाला है।
उन्होंने कहा कि निर्यातकों को इस तरह के व्यापार समझौतों का लाभ पहुंचाने के लिए, सरकार समझौतों के तरीके को सरल बनाएगी, ताकि निर्यातक प्रावधानों को समझ सकें और उनका सर्वोत्तम संभव उपयोग कर सकें।