व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया शनिवार को एक संवर्धित साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया सभी भारतीय वस्तुओं को 5 साल की अवधि के लिए बाजार तक 100 प्रतिशत पहुंच मुहैया कराएगा। व्यापार समझौता लागू होने के पहले दिन 95 प्रतिशत वस्तुओं पर कम शुल्क लगेगा। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि इसके तहत सभी श्रम केंद्रित क्षेत्रों जैसे परिधान, जूते-चप्पल को पहले दिन से ही शुल्क मुक्त पहुंच मिल सकेगी। इसके अलावा सेवा क्षेत्र को भी खोला जाएगा, जिसमें 100 से ज्यादा उप क्षेत्र शामिल होंगे।
इसी तरह भारत ऑस्ट्रेलिया से निर्यात होने वाली 70 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क घटाएगा। भारत ऑस्ट्रेलिया की वाइन पर शुल्क घटाने को राजी हो गया है मगर दुग्ध उत्पाद इस समझौते में शामिल नहीं किए गए हैं। उक्त सरकारी अधिकारियों में से एक ने कहा, ‘हमने भारत के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों (डेरी क्षेत्र) की हिफाजत की कोशिश की है।’
सितंबर में जब बातचीत शुरू हुई थी तो दोनों देशों ने अंतरिम व्यापार समझौता या शुरुआती लाभ देने वाला समझौता जल्द करने पर सहमति जताई थी, जिसके बाद व्यापक व्यापार समझौता होना है। बहरहाल अधिकारियों ने कहा कि दोनों देश संवर्धित व्यापार समझौते के साथ आगे बढ़े हैं क्योंकि कुछ मसलों पर उनके विचार समान थे। बाद में एक व्यापक व्यापार समझौते पर काम किया जा सकता है, लेकिन इसकी समययावधि तय नहीं की गई है। ऑस्ट्रेलिया की संसद से मंजूरी के बाद इस समझौते को लागू किया जाएगा। यह दूसरा बड़ा समझौता है, जिस पर भारत इस साल हस्ताक्षर करने जा रहा है। इसके पहले फरवरी में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ इसी तरह का समझौता हुआ था। भारत अभी ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते पर बात कर रहा है। समझौता ऐसे समय में होने जा रहा है, जब ऑस्ट्रेलिया भरोसेमंद कारोबारी साझेदार तलाश रहा है और चीन से निर्यात प्रतिबंध झेल रहा है। इससे भारत को हो रहा नुकसान भी कम करने में मदद मिलेगी क्योंकि उसके कुछ पड़ोसी देशों ने खासकर श्रम आधारित क्षेत्रों जैसे कपड़ा उद्योग में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘जहां तक ऑस्ट्रेलिया का सवाल है, 50 प्रतिशत वस्तुओं पर पहले ही कोई शुल्क नहीं लगता और बाकी पर 5 प्रतिशत शुल्क लगता है। हम जिन वस्तुओं का निर्यात ऑस्ट्रेलिया को करते हैं, उनमें ज्यादातर पर 5 प्रतिशत शुल्क लगता है। साथ ही हमारे प्रतिस्पर्धी बांग्लादेश का ऑस्ट्रेलिया के साथ पहले ही एफटीए है और बांग्लादेश को बेहद कम विकसित देश होने के कारण 5 प्रतिशत का लाभ मिलता है, जो हमें नहीं मिलता।