अमेरिकी उद्योग जगत और खासतौर पर तकनीकी क्षेत्र ने एक अक्तूबर से शुरू हो रहे नए वित्तीय वर्ष में एच-1 बी वीजा कार्यक्रम के तहत पेशेवरों के लिए जारी होने वाली वीजा की संख्या पर चिंता जताई है।
साथ ही यह भी कहा है कि वीजा के आवंटन में मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। अनुमान है कि वीजा हासिल करने के लिए आवेदन दाखिल करने के पहले दिन यानी एक अप्रैल को ही आवेदनों का अंबार लग जाएगा जो पेशेवरों के लिए निर्धारित वीजा संख्या 65,000 पर भारी पड़ेगा।यदि यह आशंका सही साबित हुई तो कई पेशेवरों को वीजा हासिल करने के लिए अगले वर्ष तक यानी अक्तूबर 2009 तक इंतजार करना होगा।
एच-1 बी वीजा कार्यक्रम के कारण अमेरिका में कुशल श्रमिकों की संख्या में कमी आ रही है।इस कमी से अमेरिकी उद्योग जगत चिंतित है और वीजाधारकों की मौजूदा संख्या 65,000 को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। अमेरिकी उद्योग जगत का तर्क है कि देश में जरूरी प्रवासी प्रतिभाओं में कमी आ रही है।इससे अमेरिका के समक्ष वैश्विक प्रतिर्स्पधा में पिछड़ने का खतरा पैदा हो गया है।
अमेरिका को दौड़ में बने रहने के लिए एच-1 बी वीजा की मौजूदा संख्या को बढ़ाना होगा। कई नामी गिरामी कंपनियों के उच्चे पदस्थ अधिकारी पहले भी कुशल पेशेवरों की किल्लत को देखते हुए वीजा की संख्या को बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। अभी हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष बिल गेट्स ने भी मांग की थी कि अमेरिका में तकनीकी पेशेवरों की कमी को देखते हुए एच-1 बी वीजा की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि देश सूचना तकनीक के क्षेत्र में किसी देश से पीछे न रह जाए इसलिए जरूरी है कि वीजा की संख्या को बढ़ाए जाने के साथ साथ उनकी उपलब्धता को भी आसान बनाया जाए। उन्होंने कहा था कि भारत जैसे देश में अच्छे कामगारों की बाढ़ है, पर दिक्कत यह है कि वे चाह कर भी देश में आ नहीं पाते क्योंकि वीजा लेने के लिए उन्हें संबंधित दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ता है। अगर इस सुविधा को आसान बनाया जाए तो विदेशी पेशेवरों को देश में लाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी और देश वैश्विक प्रतियोगिता में पीछे भी नहीं रहेगा।