प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित होने वाली जी-20 नेताओं की शिखर बैठक के पहले एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल को दिए साक्षात्कार में कहा कि ऐसे समय में जब प्राकृतिक संसाधनों और अधोसंरचना पर लगातार दबाव बढ़ रहा है तब दुनिया को ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ (ताकतवर का हर काम सही) की संस्कृति के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा।
वेब पोर्टल मनीकंट्रोलडॉटकॉम से बात करते हुए मोदी ने कहा, ‘यह चिह्नित किया जाना चाहिए कि संसाधनों के समुचित इस्तेमाल से अधिकतम समृद्धि हासिल करना ही आगे बढ़ने का इकलौता रास्ता है।’ भारत जी-20 देशों के विभिन्न हितों और प्रतिस्पर्धाओं के बीच सामंजस्य कैसे बिठा रहा है, इस विषय पर उन्होंने कहा कि हर देश दूसरे देश के साथ कुछ मुद्दों पर सहमत होता है तथा अन्य मुद्दों पर असहमत होता है।
उन्होंने कहा, ‘इस हकीकत को स्वीकार करने के बाद आगे की राह पर अपने-अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए काम होता है। भारत भी यही कर रहा है। हमारे कई देशों के साथ करीबी रिश्ते हैं। उनमें से कुछ देशों के साथ अलग-अलग मुद्दों पर हमारे मतभेद भी हैं। परंतु एक साझा बात यह है कि दोनों तरह के देशों के भारत के साथ मजबूत रिश्ते हैं।’
प्रधानमंत्री ने एकपक्षीयता और अलग-थलग रहने को आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में बाधा बताते हुए कहा कि यह अहम क्षेत्रों में आजीविका को प्रभावित कर सकता है। मोदी ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को मजबूत बनाने और नियम आधारित वैश्विक व्यापार सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘हमें उन गतिरोधों को दूर करने में कामयाबी मिली है जो वैश्विक व्यापार में एमएसएमई के एकीकरण को बाधित कर रहे थे, हम ऐसे ढांचे विकसित करने में सफल रहे हैं जो वैश्विक मूल्य श्रृंखला को भविष्य के झटकों की दृष्टि से मजबूत बना सकते हैं। हमने विश्व व्यापार संगठन में सुधारों को लेकर सहमति बनाने की जरूरत पर भी बल दिया है।’
मोदी ने यह भी कहा कि भारत लगातार ऐसे एजेंडों का समर्थन करता रहा है जो स्थिर, पारदर्शी और निष्पक्ष व्यापार व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं और जो हर किसी के लिए लाभप्रद हैं।
उन्होंने कहा, ‘ यह चिह्नित किया जा चुका है कि विश्व व्यापार संगठन के साथ बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की अनिवार्य भूमिका इसके मूल में है और इसके साथ ही जरूरी सुधारों की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई है। इसमें विश्व व्यापार संगठन के नियमों को मजबूत बनाना, विवाद निस्तारण प्रणाली की स्थापना करना और नए साझा लाभ वाले विश्व व्यापार समझौतों को अंजाम देना शामिल है।’
बहुपक्षीय संस्थानों में सुधारों की तगड़ी हिमायत करते हुए मोदी ने कहा कि बिना ऐसा किए वे ‘बहस के अप्रासंगिक क्लब’ बनकर रह जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘जब यह देखा जाता है कि ऐसे संस्थान वैश्विक नियम आधारित व्यवस्था का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कदम नहीं उठा सकते, या ऐसा करने वाले उन पर काबिज हो जाते हैं तो उनकी विश्वसनीयता भी खत्म होने लगती है।
अब विश्वसनीय बहुपक्षीय संस्थानों की जरूरत है जो सुधारों को अपनाएं और विभिन्न अंशधारकों के साथ गरिमा और समता के साथ पेश आएं।’ मोदी ने कहा कि जी-20 शिखर बैठक में भारत बायो फ्यूल अलायंस की शुरुआत करने जा रहा है जिससे विभिन्न देशों को अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी और साथ ही पृथ्वी के अनुकूल अर्थव्यवस्था निर्मित करने में भी मदद मिलेगी।
इंटरनैशनल सोलर अलायंस और कॉलिशन फॉर डिसास्टर रिसाइलेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर के बाद यह भारत की अगुआई में शुरू तीसरा वैश्विक संस्थान होगा।
जलवायु संकट से निपटने के बारे में मोदी ने कहा कि हमें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए दायरे, रणनीति और संवेदनाओं में बदलाव करना होगा। उन्होंने कहा, ‘अब यह समझने की आवश्यकता है कि गरीब और पृथ्वी दोनों को हमारी मदद चाहिए। दुनिया के अलग-अलग देश, खासतौर पर गरीब देश जलवायु संकट से प्रभावित हो रहे हैं जबकि उन्होंने इस संकट में कोई खास योगदान नहीं किया है।
परंतु फिर भी वे पृथ्वी की मदद करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि दुनिया भी उनकी सहायता करने को तैयार हो। ऐसे में एक संवेदनात्मक और समानुभूति भरा रुख अपनाकर तथा संसाधन उपलब्ध कराकर और तकनीक स्थानांतरण की मदद से कमाल किया जा सकता है।’
मुद्रास्फीति को दुनिया के समक्ष मौजूद एक अहम मुद्दा बताते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों के बीच भी 2022 में भारत में मुद्रास्फीति वैश्विक स्तर से दो फीसदी कम रही। इसके बावजूद हम आराम से नहीं हैं और लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए जनोन्मुखी निर्णय ले रहे हैं।’ उन्होंने इस संदर्भ में रक्षा बंधन पर गैस सिलिंडर सस्ता करने के निर्णय का भी उल्लेख किया।
मोदी ने कहा कि भारत की वृद्धि न केवल भारतीयों के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी अच्छी है। मोदी ने कहा कि भारत की वृद्धि दुनिया के गरीब मुल्कों के हितों को आगे बढ़ाने में मदद करती है और वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत और विश्वसनीय बनाती है। मोदी ने कहा कि भारत की वृद्धि दुनिया में बेहतरी लाने की दृष्टि से अहम है।