केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पश्चिम बंगाल में एक वर्चुअल रैली को संबोधित किया तो समर्थकों की भीड़ को छोड़कर अंदाज किसी चुनावी रैली जैसा ही था। शाह ने पश्चिम बंगाल में सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘कोरोना एक्सप्रेस’ वाली टिप्पणी उन्हें बंगाल से बाहर का रास्ता दिखा देगी।
तृणमूल कांग्रेस ने भी शाह को जवाब देने में अधिक देर नहीं की। ममता के भतीजे एवं पार्टी नेता अभिषेक बनर्जी ने शाह से ट्विटर पर यह पूछा है कि भारत के कुछ सीमावर्ती इलाकों पर कब्जा करने वाले चीन को उनकी पार्टी की अगुआई वाली केंद्र सरकार कब बाहर का रास्ता दिखा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रवासी कामगारों की वापसी के लिए चलाई जा रहीं श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन में हुई गड़बडिय़ों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार प्रवासी कामगारों को नहीं बल्कि कोरोना को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाने में लगी हुई है। इसी बयान को लेकर शाह ने ममता पर हमला बोला। शाह ने कहा, ‘बंगाल ने अभी तक केवल 236 श्रमिक ट्रेनों को आने की अनुमति दी है जिनसे करीब तीन लाख श्रमिक आ पाए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश ने अपने प्रवासी मजदूरों को बुलाने के लिए 1,700 श्रमिक ट्रेनों की सेवाएं ली हैं। बंगाल ने न केवल कम ट्रेनों के लिए बोला बल्कि ममता बनर्जी ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को कोरोना एक्सप्रेस भी कहा। यह प्रवासी मजदूरों का सीधा अपमान है और वे इसका बदला लेंगे।’
दिलचस्प बात यह है कि गृह मंत्री ने कई हफ्तों बाद इस वर्चुअल रैली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध करने वालीं ममता को इसकी कीमत पश्चिम बंगाल में अपनी सत्ता गंवाकर चुकानी पड़ेगी। शाह ने कहा, ‘आप इन शरणार्थियों का विरोध क्यों कर रही हैं? बंगाल के लोग इसके बारे में जानना चाहते हैं। मैं ममता दीदी को बताना चाहता हूं कि सीएए का विरोध उन्हें बहुत भारी पड़ेगा। जब नतीजे आएंगे तो आपको दिखेगा कि जनता ने आपको ही राजनीतिक शरणार्थी बना दिया है। सीएए का विरोध आपको काफी महंगा पड़ेगा।’ शाह ने आरोप लगाया कि ममता सीएए का विरोध करते समय मर्यादा भी भूल गई थीं। उन्होंने कहा, ‘मैंने उस दिन ममता का चेहरा देखा था। वह गुस्से से लाल नजर आ रहीं थीं। मैंने कभी भी किसी को इतने गुस्से में नहीं देखा है।’ हालांकि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) को ठंडे बस्ते में डाल दिया है लेकिन ममता अक्सर यह कहती रही हैं कि जब भी इसे लागू किया जाएगा तो उसका इस्तेमाल मुसलमानों को प्रताडि़त करने में किया जाएगा। शाह ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली 303 सीटों में से बंगाल से हासिल 18 सीटों को कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, ‘यह अकेला राज्य है जहां राजनीति में हिंसा ही बचे रहने का इकलौता रास्ता है। भाजपा के 100 से अधिक कार्यकर्ता बंगाल की राजनीतिक लड़ाई में अपनी जान गंवा चुके हैं। सोनार बांग्ला के लिए योगदान देने वाले इन कार्यकर्ताओं को मेरी श्रद्धांजलि।’ उन्होंने बंगाल के लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्थन देने का आह्वान करते हुए कहा, ‘मैं यकीन दिलाना चाहता हूं कि हम यहां सिर्फ सियासी लड़ाई के लिए नहीं बल्कि बंगाल की संस्कृति एवं पार्टी को मजबूत करने के लिए आए हैं। हम बंगाल की संस्कृति को फिर से फलता-फूलता देखना चाहते हैं।’