छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट से 38 लाख बुजुर्ग नाखुश हैं। एक जनवरी 2006 से पहले सेवानिवृत हो चुके केंद्र सरकार के इन पेंशनभोगियों का मानना है कि उनके साथ भेदभाव किया गया है।
इस तिथि के पहले सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों के पेंशन में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जबकि बाद के सेवानिवृत कर्मियों की पेंशन में करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। पेंशनभोगियों का यह भी कहना है कि पांचवें वेतन आयोग में उनका खास खयाल रखा गया था, जबकि इस बार उनकी उपेक्षा हुई है।
आयोग की पेंशन और वेतनमानों पर की गई अनुशंसा जनवरी 2006 से लागू होनी है। उदाहरण के लिए एक अधिकारी जो उच्च प्रशासनिक ग्रेड वन (केंद्र सरकार के एडीशनल सेक्रेटरी के बराबर के पद) से 1 जनवरी 2006 के पहले रिटायर हुआ है उसका मूल वेतनमान 22,500-24,500 रुपये था। रिटायरमेंट के समय उसका पेंशन पिछले 10 महीने के वेतनमान के प्रतिमाह औसत का 50 प्रतिशत था।
इस तरह से इसे 12,225 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। अप्रैल 2004 के बाद से 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता जुड़ने के बाद पेंशन की राशि 18,375 रुपये प्रतिमाह होती है। इसी तरह जनवरी 2006 के बाद से 24 प्रतिशत महंगाई भत्ता जुड़ने के बाद से पेंशन बढ़कर 22,785 रुपये प्रतिमाह हो जाएगी।
कर्मचारी जो 1 जनवरी 2006 के बाद रिटायर हुए हैं, उनके बारे में वेतन आयोग ने संस्तुति दी है कि उनक ो बढ़े हुए वेतन का आधा, पेंशन के रूप में दिया जाए। इस तरह एक अधिकारी जो समान पद से रिटायर हुआ है उसे नए वेतनमान यानी 39,200-67,000 रुपये और ग्रेड पे के 11,000 रुपये प्रतिमाह के मुताबिक पेंशन का भुगतान किया जाएगा।
अगर कोई अधिकारी 78,000 रुपये प्रतिमाह पर रिटायर होता है तो उसकी मासिक पेंशन 39,000 रुपये प्रतिमाह होगी। जनवरी 2006 के पहले रिटायर हुए उसी पद के अधिकारी की पेंशन से अगर तुलना की जाए तो यह 48 प्रतिशत ज्यादा है। भारतीय रेल सेवा से सेवानिवृत एक उच्च अधिकारी का कहना है, ‘छठा वेतन आयोग वर्तमान में पेंशन पाने वालों और भविष्य में पेशन पाने वालों के बीच तालमेल बैठाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है, जैसा कि पांचवें वेतन आयोग ने किया था।’