कोरोना ने रियल एस्टेट की कमर तोड़ दी और इसका असर सरकारी तिजोरी पर भी पड़ा। कोरोना काल में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण मुंबई में घरों की खरीद-बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व में 60 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है। लॉकडाउन में ढील दिए जाने से रियल एस्टेट क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार आना भले ही शुरू हो गया हो, लेकिन हालात सुधरने में अभी लंबा वक्त लगने वाला है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मार्च महीने में लॉकडाउन लागू किया गया। घरों की बिक्री और खरीद से मार्च महीने भर में सरकारी तिजोरी में 350 करोड़ रुपये का राजस्व जमा हुआ, जबकि अप्रैल महीने में राजस्व की प्राप्ति लगभग शून्य रही। मई में सिर्फ 207 घरों की खरीद बिक्री के दस्तावेजों का पंजीकरण हो सका जिससे महज 16 करोड़ रुपये ही सरकारी तिजोरी में जमा हो सके। अप्रैल के बाद लॉकडाउन में ढील दी गई जिससे राजस्व में भी सुधार आना शुरू हुआ। जून में 153 करोड़ रुपये और जुलाई में 214 करोड़ रुपये का राजस्व जमा हो सका है जो पिछले साल की समान अवधि से 60 से 80 फीसदी कम है। मुंबई में घरों की खरीद और बिक्री में लगने वाले स्टॉम्प शुल्क और पंजीकरण से हर महीने 400 से 600 करोड़ रुपये का राजस्व जमा होता रहा है, लेकिन इस साल लॉकडाउन के कारण भारी नुकसान हुआ है।
लॉकडाउन का असर पूरे महाराष्ट्र पर पड़ा है। जुलाई में घरों की खरीद और बिक्री से राज्य की तिजोरी में 714 करोड़ रुपये जमा हुए जिसमें मुंबई की हिस्सेदारी 214 करोड़ रुपये थी। चालू वर्ष के दौरान जुलाई में कुल 2,663 दस्तावेज पंजीकृत हुए, जबकि पिछले साल जुलाई के दौरान मुंबई में 500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। जून में 1,839 घरेलू दस्तावेजों का पंजीकरण हुआ, जिसमें 153 करोड़ रुपये जमा हुए। मार्च में 304 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। सबसे कम अप्रैल में घरों का पंजीकरण हुआ। अप्रैल में महज 27 घरों की खरीद-बिक्री हुई जिससे केवल 43,547 रुपये बतौर राजस्व प्राप्त हुआ। यह मुंबई में अब तक का सबसे कम राजस्व है।
राज्य सरकार के मुताबिक हालात जल्द सुधर जाएंगे, लेकिन रियल एस्टेट से जुड़े लोगों का कहना है कि मुंबई में दीवाली तक सुधार के कोई आसार नहीं हैं। उद्योग परेशान होगा तो राजस्व में कमी आनी ही है। मुंबई बिल्डर्स एसोसिएशन के सचिव आनंद गुप्ता कहते हैं कि कोरोना से कई नौकरियां गई हैं और भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है, इसलिए घर खरीदना अब पहली प्राथमिकता नहीं रहा। घर खरीदने के अलावा अन्य मामले लोगों की पहली प्राथमिकता हैं।
पंजीकरण महानिरीक्षक कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना ने घरों और पट्टों की खरीद व बिक्री को धीमा कर दिया था। हालांकि यह माना जाता है कि अब इसकी गति बढ़ेगी, लेकिन राजस्व एकत्र होने में कुछ महीने लगेंगे। लॉकडाउन पूरी तरह से समाप्त होने के बाद घरों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। मुंबई में घर खरीद और बिक्री के दस्तावेजों का पंजीकरण लॉकआउट की छूट के बाद धीरे-धीरे बढ़ रहा है, यह पहले जैसा नहीं है। यह दीवाली या बाद की अवधि में होने की संभावना है। परिणामस्वरूप निर्माण उद्योग भारी नकदी संकट का सामना कर रहा है। मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और पुणे राजस्व के प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
अप्रैल-जून में देश के आठ प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री 79 फीसदी घटकर 19,038 इकाई हो गई। अप्रैल-जून तिमाही में घरों की बिक्री में बड़ी गिरावट आई है। रियल एस्टेट ब्रोकरेज फर्मों की रिपोर्ट के मुताबिक कम बिक्री से घरों की कीमतों में गिरावट जारी है। अप्रैल-जून में नई परियोजनाओं की शुरुआत में भी 81 फीसदी की कमी आई है।