देश में ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स को लेकर बनी एक स्थायी कमेटी जजों की छुट्टियों और रिटायरमेंट को लेकर अहम सिफारिशें की हैं। संसद की Judicial Reform Committee ने कहा है कि जजों को एक साथ छुट्टी पर नहीं जाना चाहिए। आम जनता की परेशानी के मद्देनजर कमेटी ने ये सिफारिशें की हैं।
न्यायिक प्रक्रिया सुधार को लेकर पर स्थायी समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि कोर्ट के जजों को एक ही समय पर लंबी छुट्टी पर जाने से परहेज करना चाहिए। कमेटी ने कहा कि छुट्टियों पर जाने के जजों को अलग-अलग समय का चुनाव करना चाहिए।
गौरतलब है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय की बात करें तो अकेले सुप्रीम कोर्ट में करीब 35 हजार मामले लंबित हैं और हाई कोर्ट में 60 लाख से भी ज्यादा मामले लंबित पड़े हैं। हालांकि इन लंबित मामलों का कारण सिर्फ जजों का छुट्टी पर जाना नहीं है। लेकिन कमेटी ने ये सिफारिश इस बात के मद्देनजर की है कि कोर्ट्स में पहले से ही कई पद रिक्त हैं। ऐसे में पहले से मौजूदा जजों की अनुपस्थिति का लंबिक मामलों पर असर पड़ता है। आंकड़ों पर नजर डालें को हाई कोर्ट में करीब 30 फीसदी वैकेंसी है।
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साथ ही Judicial Reform Committee ने अपनी सिफारिश में जजों को अपनी संपत्ति का खुलासा करने के बारे में भी कहा है। समिति ने कहा कि जजों को एसेट और लायबलिटी का सालाना रिटर्न फाइल करना चाहिए। सरकार कानून बनाकर जजों की संपत्ति का खुलासा करना जरूरी करे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है।
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