देश में एक्चुअरी की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसकी मांग मुख्य रूप से बीमा और आउटसोर्सिंग कंपनियों में सबसे अधिक है।
हालांकि एक अनुमान के मुताबिक देश में फिलहाल 75 से 80 फीसदी एक्चुअरी की मांग ही पूरी हो पा रही है जबकि इसमें अभी भी 20 से 25 फीसदी की कमी है।एक्चुअरी की कमी का सबसे ज्यादा प्रभाव बीमा कंपनियों में सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं पर पड़ रहा है।
कारोबार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पूरे देश में मौजूद बीपीओ और केपीओ में 100 से अधिक एक्चुअरी कार्यरत हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दो वर्षों में एक्चुअरी की संख्या में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी।यह अनुमान के मुताबिक एक्चुअरियल सोसाइटी ऑफ इंडिया के पास करीब 200 सदस्य हैं। हालांकि उन 200 सदस्यों में इस वक्त सिर्फ 50 से 60 फीसदी ही पूरी तरह सक्रिय हैं, जबकि अधिकांश सदस्य वैसे हैं, जो सेवा-निवृति की उम्र को पार कर चुके हैं।
एक्चुअरी की मांग में हुई बढ़ोतरी के लिए मुख्य रूप से वर्तमान सप्लाई मंदी को धन्यवाद देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि देश की बीमा कपंनियों का विदेशी साझेदारों के साथ संयुक्त उपक्रम है। अपने देश की बीमा कंपनियों को एक्चुअरी की मांगपूर्ति के लिए विकसित राष्ट्रों पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन क्योंकि इस वक्त पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, देश के भीतर एक्चुअरी की मांग बढ़ गई।
उल्लेखनीय है कि भारतीय बीमा कंपनियां वर्तमान में विकसित बाजारों, उदाहरण के लिए इंगलैंड और अमेरिका की तर्ज पर ही वेतन पैकेज का ऑफर दे रही हैं। सूत्रों के मुताबिक एक योग्य एक्चुअरी, जिसके पास 10 सालों का अनुभव है, इंगलैंड में सालाना 85 लाख रुपये के आसपास कमा सकता है।
देश में एक्चुरियल साइंस के छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एक आंकड़े के मुताबिक जहां साल 2001 में एक्चुरियल साइंस के छात्रों की संख्या 604 थीं, वहीं साल 2007 तक उनकी संख्या बढ़कर 6,200 तक पहुंच गई थी। लेकिन इसके बावजूद इंडस्ट्री को अभी भी काफी सफर तय करना बाकी की। मौजूदा आंकड़ों में उन छात्रों को भी शामिल किया गया है जो देश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अपना नामांकन करवाए हुए हैं।
उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक एक्चुरियल इंस्टीटयूट्स द्वारा स्तानक करने वाले छात्रों की दर 20 फीसदी है जबकि कॉलेजों औैर विश्वविद्यालयों से स्नातक की दर 50 से 60 फीसदी है। हालांकि एक्चुअरियल इंस्टीटयूट्स से पास करने वाले छात्रों को सीधे नौकरी पर रख लिया जाता है, जबकि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से पास होने वाले छात्रों को सबसे पहले प्रैक्टिकल एक्सपोजर से गुजरना पड़ता है।
स्टार हेल्थ और एप्लाइड इंश्योरेंस कंपनी के जनरल मैनेजर डी रामा ने बताया कि जीवन बीमा के मुकाबले गैर जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा के लिए एक्चुअरी की मांग बहुत अधिक है। पूरे देश भर में सिर्फ एक या दो एक्चुअरी ही ऐसे होंगे, जिन्हें सामान्य बीमा, खासतौर से स्वास्थ्य बीमा में विशेषज्ञता हासिल होगी।
एक्चुअरी क्या है?
यह एक वित्त – विशेषज्ञ होता है, जो गणितीय और सांख्यिकीय विधि द्वारा वित्तीय और आकस्मिक जोखिमों का आकलन करता है। इसके अलावा, यह वैज्ञानिक तरीकों से बीमा, सेवा-निवृति और साथ ही मुनाफे एवं निवेश से जुड़े क्षेत्रों का भी आकलन करता है।