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बयान के प्रभाव को समझ कर बोलें : मनमोहन सिंह

Last Updated- December 15, 2022 | 9:16 AM IST

भारत और चीन के बीच बनी तनावपूर्ण स्थिति के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री को अपने शब्दों के निहितार्थों के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए। गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हुई झड़प के बाद मनमोहन सिंह पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे जिस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के फैसले और सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढिय़ां हमारा आकलन कैसे करेंगीं। जो लोग देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधे पर कर्तव्य का एक बड़ा दायित्व है। हमारे लोकतंत्र में यह जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और घोषणाओं के द्वारा देश की सुरक्षा के साथ-साथ सामरिक और भूभागीय हितों पर पडऩे वाले प्रभाव के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए।’
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा था, ‘न तो हमारे क्षेत्र के अंदर कोई घुसा है और न ही हमारी किसी चौकी पर कब्जा किया गया है।’ कांग्रेस ने इस बयान पर सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री का मतलब यह है कि भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बयान जारी किया प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी की गलत तरीके से व्याख्या न की जाए।
सरकार ने कहा, ‘प्रधानमंत्री का कहना यह है कि हमारे क्षेत्र में चीन की घुसपैठ नहीं हुई और सशस्त्र बलों की बहादुरी के कारण ही चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन नहीं कर सका। 16 बिहार रेजीमेंट के सैनिकों की शहादत की वजह से ही सीमा पर निर्माण करने का चीन का प्रयास विफल रहा और उसी दिन एलएसी का उल्लंघन करने की चीन की कोशिश भी विफल कर दी गई।’ मनमोहन सिंह ने कहा कि चीन बड़ी बेशर्मी और अवैध तरीके से अप्रैल से ही कई घुसपैठ करके गलवान घाटी और पांगोंग त्सो लेक जैसे भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर अपना दावा कर रहा था।
उन्होंने कहा, ‘हम न तो उनकी धमकियों और दबाव के सामने झुकेंगे और न ही अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करें और इसे ज्यादा गंभीर होने से रोकें।’
सिंह ने कहा, ‘यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है तथा संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना है।’ मनमोहन सिंह की इन टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके बयान को सिर्फ ‘शब्दों का खेल’ बताया।

चीनी, रूसी विदेश मंत्रियों के साथ बैठक में शामिल होंगे जयशंकर
गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के चलते चीन के साथ भारत के संबंधों में आई और अधिक तल्खी के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को अपने चीनी और रूसी समकक्षों के साथ रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय डिजिटल सम्मेलन में शामिल होंगे। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद टकराव और बढऩे की आशंकाओं के बीच माना जाता है कि रूस ने दोनों देशों से संपर्क किया है और सीमा विवाद का समाधान वार्ता के जरिये करने का आग्रह किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वितीय विश्वयुद्ध में रूसी लोगों की विजय की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मॉस्को में हो रही सैन्य परेड में शामिल होने के लिए सोमवार को रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। सिंह रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ बैठक करेंगे। चीन के एक वरिष्ठ नेता के भी मॉस्को में परेड में शामिल होने की संभावना है। भाषा

First Published - June 22, 2020 | 11:12 PM IST

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