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अब कृषि पर मंडराए संकट के काले बादल

Last Updated- December 10, 2022 | 5:23 PM IST

गेहूं की लहलहाती फसल को जल्द ही काटने की लाखों किसानों की आस पर बिन मौसम बरसात ने लगता है पानी फेर दिया है।


दक्षिणी भारत में रिकॉर्ड तोड़ बरसात से बेहाल किसानों के बाद काले बादलों का कहर देखकर उत्तरी भारत के किसानों का चेहरा भी स्याह पड़ने लगा है। हालांकि इस बरसात के शिकारों में गेहूं के साथ-साथ आम, सेब, चावल और काजू भी हैं, जिनकी फसल को इसने खासा नुकसान पहुंचाया है। 


अभी भी बरसात के न थमने के कारण किसानों को अब यह चिंता सताने लगी है कि कहीं रबी की इस फसल के लिए यह बरसात काल ही न बन जाए।


भौचक हुआ पंजाब


पिछले कुछ दिनों से जारी बरसात से राज्य की तकरीबन 30 हजार हेक्टेयर में बोई गेहूं की फसल को 25 से 50 फीसदी तक नुकसान की आशंका है। राज्य के 20 जिलों में इसके नुकसान का सही आकलन करने की कवायद तेज हो गई है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इसके लिए अधिकारियों को तुरंत कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।


यूपी में भी हुई उलटबांसी


तीन दिनों से जारी इस बरसात में राज्य की गेहूं, सरसों और और चने की लगभग 60 फीसदी फसल पर गहरी मार पड़ने की आशंका है। राज्य सरकार फिलहाल इस नुकसान का सर्वे कराने में जुटी हुई है। राज्य सरकार को सबसे ज्यादा चिंता तिलहन और दलहन की खेती को हुए नुकसान को लेकर है।


गुजरात भी हुआ गीला


राज्य में बेमौसम बरसात के चलते गेहूं और आम की फसल को गहरा नुकसान पहुंचा है। हालांकि राज्य का कृषि विभाग इस नुकसान का सही तौर पर आकलन अभी नहीं कर सका है लेकिन मोटे तौर पर 10-15 फीसदी फसल के इसके चपेट में आने की आशंका है।


उड़ी हिमाचल की लाली


मूसलाधार बरसात ने हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों के चेहरे की लाली उड़ा दी है। चंद दिनों से हो रही इस बरसात से सेब की फसल को 30 से 40 फीसदी तक का नुकसान पहुंचा है। अन्य फसलों पर इसका कितना असर हुआ है, इसका अंदाज अभी नहीं लगाया जा सका है। 


पानी से भड़केगी महंगाई की आग


ऐसे समय में जब महंगाई दर 40 माह के उच्चतम यानी सात फीसदी पर है, बिन मौसम बरसात हालात और बदतर कर सकती है। खाद्य पदार्थों,-अनाज आदि की कीमतों में आई तेजी देश के कई इलाकों में इस बरसात से गेहूं की फसल को 40 फीसदी तक हुए नुकसान से और जोर पकड़ सकती है।


कहां होती है गेहूं की पैदावार


गंगा का मैदानी इलाका इस फसल के लिए सबसे अहम क्षेत्र माना जाता है। हालांकि कमोबेश समूचे उत्तरी भारत में इसकी पैदावार होती है। देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में पंजाब, हरियाणा, जम्मू, राजस्थान (दक्षिण-पूर्वी इलाके को छोड़कर), मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कश्मीर, हिमाचल, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।


कब होती है ये फसल
अक्टूबर-नवंबर में बुआई के बाद अप्रैल-मई में इसकी कटाई होती है।


क्या है मौसमी दरकार
गेहूं की अच्छी फसल के लिए तपती गर्मी और कड़कड़ाती ठंड को बेहतरीन माना जाता है।


कितना होगा नुकसान
फिलहाल तो इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है। प्रभावित इलाकों में गेहूं का उत्पादन एक एकड़ में 20 क्विंटल से घटकर 10-11 क्विंटल रह जाएगा। जाहिर है, समग्र रूप से यह घटा हुआ औसत देश के गेहूं उत्पादन में करारी चपत लगा सकता है।  


किन-किन फसलों को हुआ नुकसान
चावल, आम, गेहूं, काजू, सेब, जीरा


क्या है इस बरसात की वजह
गर्मियों में अचानक आई इस बरसात की वजह मौसम विभाग के अनुसार उत्तर पश्चिमी भारत पर पश्चिमी विक्षोभ है।


दक्षिण भारत पर भी पड़ चुकी है मार
अकेले केरल में 2000 करोड़ रुपये तक की फसल का नुकसान हो चुका है। मार्च में तमिलनाडु में 801 फीसदी, केरल में 469 फीसदी, कर्नाटक में 1666 फीसदी और आंध्र प्रदेश में 811 फीसदी ज्यादा बरसात दर्ज की गई। यह यहां सन 1875 के बाद की सबसे ज्यादा बरसात है।


क्या कहती है सरकार- भारत के कृषि सचिव ने सोमवार को कहा कि फसलों को ‘कुछ’ नुकसान तो हुआ है लेकिन 2008 के लिए अनुमानित गेहूं उत्पादन 74.81 मिलियन टन का आंकड़ा इससे बहुत प्रभावित नहीं होगा।

First Published - April 8, 2008 | 1:12 AM IST

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