देश भर के खुदरा कारोबारियों ने अपने कारोबार में सुधार के लक्षण नजर नहीं आने के बाद राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से स्थानीय स्तर पर लगाए जा रहे लॉकडाउन में ढील दिए जाने की मांग की है। 1 जुलाई से शुरू हुए अनलॉक के दूसरे चरण में स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाए जाने की कार्रवाई बढ़ रही है जिससे कारोबार को चोट पहुंच रही है। खुदरा कारोबारियों का तर्क है कि एक दर्जन से अधिक राज्यों में अनौपचारिक तौर पर लॉकडाउन लगाया गया है जिससे न केवल कारोबार में कोई सुधार होने की उम्मीद पर पानी फिर गया है बल्कि देश में कोविड-19 के मामलों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
संगठित खुदरा कारोबारियों का अग्रणी संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) संबंधित राज्य सरकारों और स्थानीय प्राधिकारियों को प्रतिवेदन देकर लंबी अवधि तक परिचालन करने की अनुमति देने की मांग कर रहा है। कारोबारियों का कहना है कि विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग निकायों की ओर से मनमाने तरीके से लॉकडाउन लगाए जाने से केवल उनकी परेशानी बढ़ रही है। आरएआई ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में संबंधित राज्य सचिवों के अलावा संबंधित प्राधिकरणों से संपर्क साधा है।
आरएआई के मुख्य कार्यकारी कुमार राजगोपालन ने कहा, ‘फिलहाल सभी साझेदारों की ओर से संगठित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। एक ओर जहां खुदरा कारोबारी स्वास्थ्य व्यवस्था के कठोर नियमों का पालन कर अपनी ओर से कोशिश कर रहे हैं, वहीं नीति निर्माताओं को भी देश भर में आर्थिक गतिविधि में सुधार को सुनिश्चित करने के लिए अपना सहयोग देने की जरूरत है। देश में खपत महत्त्वपूर्ण है और यह कारोबारी माहौल को सहयोग प्रदान करता है।’
खुदरा कारोबारियों की मांग चार प्रकार की हैं: उपभोक्ताओं की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किराना, जनरल ट्रेड शॉप्स, सुपरमार्केट, हाइपरमार्केट और थोक दुकानों जैसी जरूरी दुकानों को अनिवार्य रूप से सप्ताह में सातों दिन रात्रि 9 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाए। दूसरी मांग है कि सभी श्रेणियों की खुदरा दुकानों को पूरे कारोबारी घंटों के लिए एकसमान और नियमित तौर पर खुलने को सुनिश्चित करें। उसने कहा, ‘ऐसा होने से दुकानों के बाहर अधिक भीड़ जुटने की समस्या को दूर किया जा सकता है क्योंकि मांग सप्ताह के सभी दिनों में बंट जाएगा।’ तीसरी मांग है कि सामान और कर्मचारियों की झंझट मुक्त आवाजाही हो जिन्हें अक्सर कानून का पालन कराने वालों की ओर से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। और आरएआई की अंतिम मांग है कि मॉलों पर से रोक को हटाया जाए जो महाराष्ट्र जैसे कुछ चुनिंदा राज्यों में अभी भी लागू है।
इसके अलावा खुदरा कारोबारियों का तर्क है कि विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग एजेंसियों की ओर से मनमाने तरीके से नियमों का पालन करने से पहले से ही परेशान चल रहे कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ जाती है।
संगठन ने कहा, ‘लगातार बदल रहे अनौपचारिक प्रतिबंधों से इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है कि किसके लिए अनुमति है और किसके लिए नहीं। राज्य सरकारों की ओर से लगाए जा रहे प्रतिबंधों से स्थिति और अधिक जटिल हो रही है और परिचालन में बहुत अधिक दिक्कतें पेश आ रही हैं।’
मेट्रो कैश ऐंड कैरी इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अरविंद मेदीरत्ता के मुताबिक, ‘उत्तर प्रदेश में सप्ताहांत में सभी तरह की दुकानों को बंद रखने का निर्णय और आज से बेंगलूरु में कठोर लॉकडाउन लगाए जाने से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित होने जा रहा है। ये लॉकडाउन लगाए जाने से सभी नागरिकों को भीषण असुविधाओं का सामना करना होगा क्योंकि इनमें खाद्य और ग्रॉसरी की खुदरा और थोक दुकानों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।’ थोक खुदरा क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी को हाल के हफ्तों में अनौपचारिक लॉकडाउन लगाए जाने से परिचालनों में भारी दिक्कतों से जूझना पड़ा है।