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अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य से बहुत पीछे

Last Updated- December 05, 2022 | 7:01 PM IST

वित्तीय वर्ष का पहला ही दिन ऊर्जा क्षेत्र के लिए काफी ऊहापोह भरा रहा। हर साल की तरह इस साल की समस्याएं वहीं हैं।


समस्या यह है कि इस बार भी ऊर्जा का उत्पादन लक्ष्य से काफी कम रहा। इसबार 17,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य था लेकिन उत्पादन हुआ आधे से थोडा ज्यादा यानी 9,263 मेगावाट। लक्ष्य से कम हो रहे उत्पादन का ठीकरा बिजली मंत्रालय ने उपकरण की कमी के सर फोड़ डाला।इस बार के बजट भाषण में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 10,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन की आशा जताई थी, लेकिन जो उत्पादन रहा वह इस लक्ष्य  से भी कम था।


ग्याहरवीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के पहले वर्ष में ही बिजली की कमी देखी जा रही है। हालांकि इस पंचवर्षीय योजना में बिजली की व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए काफी बातें की गई है। ताजा आंकड़े की मानें तो फरवरी में औसतन 13.4 प्रतिशत बिजली की कमी रही,जबकि पिछले माह यह कमी 12.8 प्रतिशत रही। जनवरी में बिजली की कमी 17.1 प्रतिशत रही।   इतनी बदहाल स्थिति होने के बाद भी बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के हौंसले बुलंद हैं।


केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की योजना कमिटी के सदस्य एम एस वर्मा ने कहा कि हमलोग इस साल पहले की अपेक्षा बेहतर कर पाएंगे। इस हौसले की मुख्य वजह उपकरणीय उत्पादन क्षमता को बताया जा रहा है।बिजली उपकरणों के मुख्य वितरक भारत हेवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड (भेल) भी इसबार 10,000 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता विस्तार कर रही है,जो पिछले साल के शुरूआती महीने में 7,000 मेगावाट था।


भेल अगले दो वर्षों में यह क्षमता 15,000 मेगावाट करने की योजना बना रही है। बिजली क्षेत्र की परियोजनाओं को इस तरह से बनाया जा रहा है ताकि 11वीं योजना के 78,577 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य पूरा किया जा सके । वर्मा ने बताया कि इस साल हम 12,500 मेगावाट क्षमता बढाएंगे और अगले दो सालों में लगभग 16,500 मेगावाट क्षमता में वृद्धि की जाएगी। योजना के अंतिम साल में 23,500 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है।


11 वीं योजना के पहले साल में बिजली क्षेत्र में 20 अरब डॉलर निवेश किए जाने थे। वैसे 10 मुख्य विनिर्माण क्षेत्रों में कुल 68 अरब डॉलर निवेश की योजना 11 वीं पंचवर्षीय योजना में बनाई गई है।अर्थशास्त्री इस बात का अनुमान लगाते हैं कि निवेश की जो योजना बनाई जा रही है उसे बड़ी मुश्किल से हासिल किया जाएगा और समय बीत जाने के बाद ही इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।

First Published - April 3, 2008 | 10:36 PM IST

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