भारत के 8 बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की वृद्धि दर लगातार दूसरे महीने जून में 2 अंकों में बनी हुई है, भले ही क्रमिक रूप से विकास गड़बड़ा गया है।
उद्योग विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जून में प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर 12.7 प्रतिशत रही है, हालांकि पिछले महीने की तुलना में इसमें 4.1 प्रतिशत की कमी आई है।
इक्रा लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि जून 2022 में व्यापक आधार पर कम होकर 12.7 प्रतिशत रही है, जो इसके पहले महीने में 19.3 प्रतिशत थी, जो आधार सामान्य होने की स्थिति को प्रदर्शित कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर कोविड के पहले के स्तर से तुलना करें तो जून 2022 में प्रमुख क्षेत्र में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्टील और क्रूड ऑयल को छोड़कर सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। प्रमुख संकेतकों में सालाना प्रदर्शन बेहतर नजर आ रहा है, साथ ही जून 2022 में प्रमुख क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर है, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि आईआईपी वृद्धि 11 से 13 प्रतिशत के बीच रहेगी।’
प्रमुख क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों का प्रदर्शन मिला जुला रहा है और जहां कच्चे तेल में 1.7 प्रतिशत का संकुचन आया है, वहीं कोयला क्षेत्र में 31.1 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई है। जून महीने में कोयला के अलावा सीमेंट, रिफाइनरी और बिजली उत्पादन में दो अंकों की वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि स्टील और प्राकृतिक गैस की वृद्धि स्थिर रही है।
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि बेहतर है, क्योंकि जून 2021 में 9.4 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर का आधार था। उन्होंने कहा, ‘आर्थिक गतिविधियों के गति पकड़ने का मतलब यह है कि बिजली की मांग बढ़ी है और कोयले का उत्पादन गति बनाए हुए है। जून के बाद मॉनसून के कारण हम कोयले में गिरावट देख सकते हैं। हम उम्मीद कर सकते हैं कि इस साल जून में औद्योगिक वृद्धि 9 से 10 प्रतिशत रह सकती है।’
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को भारत की वृद्धि का अनुमान 80 आधार अंक घटाकर वित्त वर्ष 23 के लिए 7.4 प्रतिशत कर दिया था और इसके लिए बाहरी स्थितियों और केंद्रीय बैंक द्वारा तेजी से नीतिगत सख्ती को जिम्मेदार बताया था।