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शिक्षा ऋण: सोचो… समझो… फिर लो

Last Updated- December 05, 2022 | 4:56 PM IST

शिक्षा ऋण के लिए बाजार में कई विकल्प मौजूद हैं। हालांकि इस ऋण को लेने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि कौन-सी योजना के तहत शिक्षा ऋण लेना आपके लिए फायदेमंद होगा। आइए जानते हैं:



शिक्षा, खासकर भारत में व्यावसायिक पाठयक्रमों और उच्च शिक्षा के बढ़ते खर्च को देखते हुए शिक्षा ऋण बेहद जरूरी हो गया है। सच तो यह है कि बहुत से लोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा ऋण लेते हैं। भारत में कई बैंक शिक्षा ऋण मुहैया कराते हैं, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक इसमें सबसे आगे हैं।


शिक्षा ऋण लेने से पहले कुछ खास बातों का रखें ख्याल:


भुगतान का विकल्प


अन्य कर्ज की तरह ही शिक्षा ऋण पर भी आपको ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि अन्य लोन की अपेक्षा शिक्षा ऋण में भुगतान स्थगन अवधि का विकल्प उपलब्ध होता है। इसका तात्पर्य यह है कि ऋण के भुगतान को तब तक टाला जा सकता है, जब तक कि पाठयक्रम पूरा न हो जाए। उसके बाद आसान मासिक किश्तों में ऋण का भुगतान किया जा सकता है।


साधारणत: शिक्षा ऋण के भुगतान के तीन विकल्प उपलब्ध हैं :


शिक्षा ऋण के भुगतान अवधि के स्थगन का विकल्प। कई बैंक पाठयक्रम के पूरा होने के एक साल बाद या छह महीने तक (नौकरी मिलने तक) ऋण भुगतान की अवधि के स्थगन की छूट देते हैं। यानी कि नौकरी मिल जाए, तो फिर ऋण का भुगतान भी आसानी से हो जाएगा।
ब्याज का भुगतान पाठयक्रम अवधि तक ही हो। पाठयक्रम पूरा होने के बाद केवल मूल राशि का भगतान करना पड़े।
आप ऋण लेने के तुरंत बाद से ईएमआई का भुगतान कर सकते हैं। ऐसे में ऋण पर ब्याज में एक फीसदी तक की छूट मिलती है।
भुगतान के बारे में विभिन्न बैंकों के अलग-अलग मानदंड हैं। ऐसे में विभिन्न बैंकों से बात करें और जो उचित लगे उसका चुनाव करना चाहिए।


ब्याज दर


शिक्षा ऋण पर ब्याज दर व्यक्तिगत लोन से अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन होम लोन से इस पर कुछ ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। कुछ बैंक तय ब्याज दर ऋण मुहैया कराते हैं, जबकि कुछ बैंक फ्लोटिंग रेट पर ब्याज वसूलते हैं। ऐसे में अगर तय ब्याज दर व फ्लोटिंग रेट में एक फीसदी के बराबर का अंतर हो तो व्यक्ति को नियत ब्याज दर के तहत लोन लेना चाहिए।


इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कुछ बैंक नियत ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराते तो हैं, लेकिन वह ऋण की पूरी अवधि के दौरान मान्य नहीं होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि बैंक को यह अधिकार है कि दो या तीन साल या फिर जब वह जरूरी समझे ब्याज दर में संशोधन कर सकता है।


ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर इस बात का ध्यान रखें कि आप जो ऋण ले रहे हैं, उस पर किस तरह का नियत ब्याज दर वसूला जाना है। अगर नियत ब्याज दर लेने की स्थिति में बैंक ब्याज दर में संशोधन की शर्तें रखता है, तो ऐसी स्थिति में फ्लोटिंग ब्याज दर बेहतर विकल्प साबित होगा।


इसके साथ ही निजी व सार्जनिक बैंकों की ओर से लड़कियों के शिक्षा ऋण पर ब्याज दर कम रखते हैं। कई बैंक तो एक फीसदी कम दर पर ऋण उपलब्ध कराते हैं।


प्रोसेसिंग शुल्क


कई बैंक प्रोसेसिंग शुल्क नहीं वसूलते हैं। ऐसे में अगर कोई बैंक आपसे प्रोसेसिंग शुल्क की मांग करता है, तो आप उसमें छूट देने की बात कह सकते हैं।


भुगतान शुल्क


अगर कोई व्यक्ति अपने स्रोत से ऋण का भुगतान करता है, तो बैंकों की ओर से कोई शुल्क नहीं वसूला जाता है। हां, अगर किसी बैंक से अपने ऋण का हस्तांतरण दूसरे बैंक में करवाता है, तो उस पर पूर्व भुगतान शुल्क वसूला जाता है, जो आमतौर पर दो फीसदी होता है।


शिक्षा ऋण में शामिल व्यय


विभिन्न बैंकों की ओर से शिक्षा ऋण के लिए खर्च को अलग-अलग तरह से दिखाया जाता है। जो इस प्रकार हैं :


कॉलेज स्कूल छात्रावास का शुल्क
परीक्षापुस्तकालयप्रयोगशाला शुल्क
किताब और स्कूल ड्रेस की खरीदारी
बिल्डिंग फंड सिक्यूरिटी जमा पुनर्भुगतान जमा
शिक्षा के लिए विदेश यात्रा पर किया गया खर्च


इन खर्चों के अलावा पाठयक्रम के दौरान होने वाले अन्य खर्चे भी इसी ऋण में शामिल किए जा सकते हैं। मसलन-उपकरण, कंप्यूटर, लैपटॉप या पाठयक्रम से जुड़ी अन्य सामग्री आदि पर किया गया व्यय। भारतीय स्टेट बैंक की ओर से दोपहिया वाहन को खरीदने के लिए 50,000 रुपये तक की राशि शिक्षा ऋण के तहत मुहैया कराती है।



बैंक की ओर से शिक्षा के लिए 80 से 90 फीसदी तकक रकम ऋण के रूप में दी जाती है, लेकिन पहले शिक्षा पर होने वाले व्यय का आकलन करना जरूरी होता है।


अगर शिक्षा पर होने वाले खर्च में से कुछ राशि की छात्रवृत्ति मिलती है, तो शेष राशि के लिए आप शिक्षा ऋण ले सकते हैं। सबसे अंत में महत्वपूर्ण बात यह कि ऋण लेने से पहले विभिन्न बैंकों की योजनाओं का अध्ययन करें और जो सबसे उपयुक्त लगे उसका ही चुनाव करें।


भुगतान विकल्प


पाठयक्रम पूरा होने के 6-12 महीने बाद मासिक किश्त शुरू
पाठयक्रम अवधि के दौरान सिर्फ ब्याज की अदायगी करनी पड़ती है
लोन लेने के बाद से ही कर्ज का भुगतान शुरू हो जाता है
कर्ज भुगतान का नियम विभिन्न बैंकों में है भिन्न-भिन्न


स्रोत : www.apnaloan.com

First Published - March 23, 2008 | 11:35 PM IST

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