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महंगाई देख कारोबारी क्यों रोए!

Last Updated- December 05, 2022 | 7:00 PM IST

महंगाई की मार सिर्फ उपभोक्ताओं को ही नहीं थोक और खुदरा व्यापारियों को भी रुला रही है। 


लगातार बढ़ती महंगाई और कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से देश के सवा करोड़ थोक और खुदरा कारोबारियों के व्यापार का ग्राफ नीचे आ गया है। पिछले तीन सालों के दौरान हरेक जिंस के भाव में कम से कम 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।


तो सोने व चांदी की कीमत तो दोगुनी हो गई है। इस महंगाई ने खाद्य पदार्थों के थोक और खुदरा व्यापार को 30 फीसदी तक कम कर दिया है तो सर्राफा बाजार के कारोबारी अब किसी और व्यापार की ओर अपना रुख करने का मन बना रहे हैं।


दिल्ली बुलियन मार्केट एसोसिएशन के मुताबिक बीते तीन महीने के दौरान सर्राफा बाजार के कारोबार में 60-70 फीसदी की गिरावट आई है। महंगाई के मामले में कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। और सरकार से महंगाई पर लगाम लगाकर कारोबारियों को बचाने की दरख्वास्त की है।


कनफेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते तीन सालों के दौरान चावल, दाल व अन्य खाद्य पदार्थों के भाव में 50 फीसदी तक की तेजी आई है। कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमत इन तीन सालों में दोगुनी हो गई। एक अप्रैल, 2005 को गेहूं एमपी बोट की कीमत 10.25 रुपये प्रति किलो थी जो 31 मार्च, 2008 को 15.75 रुपये प्रति किलो के स्तर पर देखी गई।


एक अप्रैल, 2005 को मसूर दाल की कीमत 20.25 रुपये प्रति किलो थी जो इस साल 31 मार्च को 40 रुपये प्रति किलो बिक रही थी। चना देसी की कीमत तीन सालों के दौरान 15 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 25 रुपये प्रति किलो हो गई। मैदा इस दौरान 9.72 रुपये प्रति किलो से उछलकर 14.51 रुपये प्रति किलो पर आ गया। उड़द दाल की कीमत तीन सालों में 21.81 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 33.51 रुपये प्रति किलो हो गई।


1 अप्रैल, 2005 को दस ग्राम सोने की कीमत 6180 रुपये थी जो 31 मार्च, 2008 को 12,500 रुपये के आस-पास देखी गई। चांदी भी इस दौरान 10670 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 24,500 रुपये प्रति किलो के स्तर पर आ गई।कनफेडरेशन के अध्यक्ष बीसी भरतिया ने नागपुर से बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कीमत में उछाल से थोक कारोबारी व खुदरा व्यापारियों के टर्नओवर में भारी कमी आ गई है।


बढ़ोतरी की वजह से कारोबारी अपने रेंज को कायम नहीं रख पा रहे है। जिससे ग्राहक कहीं और चला जाता है।’ पिछले एक सालों से जिंस बाजार के भारी उतार-चढ़ाव के कारण भी कारोबारियों को परेशानी हो रही है। व्यापारी कहते हैं, ‘किसी चीज के स्टॉक करने के 15 दिनों बाद उसकी कीमतों में गिरावट हो जाती है तो उन्हें उसी कीमत पर बिक्री करनी होती है। या फिर दाम बढ़ने का इंतजार करना पड़ता है।’


 दिल्ली वेजिटेबल ट्रेडर्स एसोसिएशन के मुताबिक गत 1 मार्च से लेकर 1 अप्रैल के बीच खाद्य तेलों की कीमत में 20 रुपये का अंतर देखा गया। एसोसिएशन के मुताबिक जिन थोक व्यापारियों ने 1 मार्च को तेल की खरीदारी की होगी, उन्हें निश्चित रूप से अब घाटे का सामना करना पड़ेगा। दिल्ली बुलियन मार्केट संघ के खजांची सुरेंद्र खंडेलवाला कहते हैं, ‘उतार-चढ़ाव के चलते बाजार 70 फीसटी टूट गया। तेजी आने से ग्राहकी में कमी आ गई।


अब कीमत नीचे आई है तो ग्राहक सोचता है अभी और कमी आएगी। उनके मुताबिक अब तो सिर्फ शादी-ब्याह वाली खरीदारी हो रही है। बढ़ी हुई कीमत के कारण सोने का गिफ्ट बाजार खत्म होने की ओर है।’ 


बड़ी महंगी पड़ी महंगाई


थोक और खुदरा जिंस कारोबार में तीन साल में आई 30 फीसदी की कमी
सर्राफा बाजार में तो पड़ी 60-70 फीसदी की गिरावट की मार
सरकार से की गई महंगाई पर लगाम लगाकर कारोबार बचाने की गुहार

First Published - April 3, 2008 | 12:47 AM IST

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