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वोडाफोन मामले में अपील संभव

Last Updated- December 12, 2022 | 10:36 AM IST

केयर्न एनर्जी पीएलसी के साथ कर विवाद में फैसला अनुकूल न होने से भारत सरकार वोडाफोन मामले में सिंगापुर की अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए संभवत: प्रेरित होगी क्योंकि इसके लिए समय-सीमा गुरुवार को खत्म हो रही है।  केयर्न एनर्जी के पक्ष में 8,800 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान का फैसला दिए जाने का मतलब सरकारी खजाने पर तगड़ा झटका होगा। ऐसे में आयकर विभाग हेग की अदालत में अपील कर सकता है।
एक अधिकारी ने कहा कि वोडाफोन मामले में सरकार की देनदारी केवल 80 करोड़ रुपये है लेकिन भारत को दोनों मामलों में एकसमान रुख अपनाना होगा क्योंकि ये दोनों मामले द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत दायर किए गए हैं और ये पिछली तारीख से लागू कराधान से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि वोडाफोन मामले में अपील न किए जाने से एक मिसाल कायम होगी। इसलिए सरकार को इन दोनों मामलों में अपील दायर करने की आवश्यकता होगी।
एक कर अधिकारी ने कहा, ‘केयर्न मामले में फैसला एक नाटकीय बदलाव लाने जा रहा है। इसके तहत एक बड़ी रकम दिए जाने की बात कही गई है और इसलिए इस बात की काफी संभावना है कि भारत इस फैसले के खिलाफ हेग में अपील करेगा। अपने दृष्टिकोण में एकरूपता को बनाए रखने के लिए भारत को वोडाफोन मामले में फैसले के खिलाफ भी अपील करनी होगी। हालांकि इस संबंध में शीर्ष स्तर पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।’
वोडाफोन मामले में सिंगापुर की अदालत में फैसले को चुनौती देने के लिए भारत के पास 90 दिनों का समय मिला था जो 24 दिसंबर को खत्म हो रहा है। इसी प्रकार केयर्न मामले में भारत को 90 दिनों के भीतर अपील दायर करने की आवश्यकता होगी और यह समय-सीमा 22 मार्च के आसपास समाप्त हो जाएगी। केयर्न मामले में 8,842 करोड़ रुपये के मध्यस्थता फैसले में केयर्न द्वारा भुगतान की गई कानूनी फीस, विपरीत लाभांश, कर रिफंड आदि शामिल हैं।
आयकर विभाग केयर्न मामले में फैसले को इस आधार पर चुनौती देने के लिए दबाव डालेगा कि भारत सरकार के पास कराधान का संप्रभु अधिकार है और कोई निजी व्यक्ति उसमें फैसला नहीं कर सकता। एक अन्य कर अधिकारी ने कहा, ‘इस आदेश को देखते हुए ऐसा लगता है कि अपील से बचने का कोई रास्ता नहीं है। यह लगभग 8,800 करोड़ रुपये है।’ केयर्न मामले में कर मांग की मूल रकम 10,247 करोड़ रुपये है। इसके अलावा मूल रकम का 100 फीसदी जुर्माना और फरवरी 2017 से सालाना 12 फीसदी की दर से ब्याज शामिल है जो कुल करीब 24,500 करोड़ रुपये होता है।
मजूमदार ऐंड पार्टनर लॉ फर्म के कर वकील रवि एस राघवन ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि भारत सरकार अगला कदम बढ़ाने से पहले मध्यस्थता अदालत के फैसले की समीक्षा करेगी और संभवत: अपील याचिका दायर करना पसंद करेगी। ऐसा नहीं है कि अप्रत्यक्ष तौर पर शेयर हस्तांतरण के इस मामले में मध्यस्ता फैसले से मुकदमेबाजी खत्म हो जाएगी।’
नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि अगर भारत वोडाफोन मामले में मध्यस्थता फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का विकल्प चुनता है तो वह अपने रुख में समानता बरकरार रखने के लिए केयर्न मामले में भी अपील करेगी।

First Published - December 23, 2020 | 11:36 PM IST

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