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व्यापार कर पर खुद निर्णय नहीं ले सकते हैं डीलर

Last Updated- December 07, 2022 | 4:06 PM IST

उच्च न्यायालय आयकर विभाग के खिलाफ जो फैसला सुनाता है, कई बार विभाग उसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करता है। पर कई बार ऐसा भी होता है कि आयकर विभाग फैसले के खिलाफ आगे अपील नहीं करता।


क्या इस तरीके का भेदभाव तर्कसंगत है? उच्चतम न्यायालय की जिस पीठ में यह सवाल उठाया गया, उसका कहना था कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि विभाग बिना किसी जायज और तर्कसंगत कारण के किसी भी मामले में आगे अपील करे और जब उसे लगे कि बड़ी पीठ में अपील नहीं करनी चाहिए तो वह कोई कदम न उठाए।

सी के गंगाधरण बनाम सीआईटी के एक मामले में फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा: बस इस वजह से कि कुछ मामलों में राजस्व विभाग ने आगे अपील नहीं की है, इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे मामले जो लोकहित से जुड़े हों या फिर जिनके लिए उपयुक्त कारण हों वहां विभाग बड़ी पीठों में अपील नहीं कर सकता।

खासतौर पर ऐसे मामलों में आयकर विभाग को बड़ी पीठों में अपील करने का अधिकार है जहां टिब्यूनल या फिर उच्च न्यायालय में फैसला सुनाते वक्त न्यायाधीशों के विचार अलग अलग हों।

अतिरिक्त व्यापार कर

पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले को खारिज करते हुए कहा कि अगर किसी पक्ष ने पिछले कुछ वर्षों में अतिरिक्त ट्रेड टैक्स का भुगतान किया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह खुद अपने आप ही इस कर का ऐडजस्टमेंट कर ले।

क्या वाकई में किसी ने अतिरिक्त भुगतान किया है और क्या उसे रिफंड दिया जाना चाहिए यह अदालती मामला है और इसका निर्धारण ट्रेड टैक्स ऐक्ट के तहत नियुक्त किए गए अधिकारी करेंगे। कमिश्नर ऑफ सेल्स टैक्स बनाम हिंद लैम्प्स लिमिटेड के मामले में फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक डीलर को यह अधिकार नहीं है कि वह इस बात का फैसला खुद करे।

इस मामले में न्यायपालिका का कोई हस्तक्षेप नहीं था। अगर ऐसा नहीं भी हो तो भी कर के मामले के निपटारे का अधिकार कानून के तहत नियुक्त किए गए अधिकारियों के पास ही होता है। रिफंड देने से पहले यह पता लगाना जरूरी है कि कितनी रकम का कर के एवज में निपटारा करना है। फैसले में जोर देकर कहा गया था कि डीलर खुद अपने आप से कोई फैसला नहीं ले सकता कि अतिरिक्त कर चुकाने की वजह से किसी दूसरे साल उसका ऐडजस्टमेंट किया जाए।

रसना

उच्चतम न्यायालय ने केरल के कर अधिकारियों से इस प्रश्न पर विचार करने को कहा है कि पेय पदार्थ रसना नॉन ऐल्कोहलिक ड्रिंक है या फिर वेजीटेटिव मिश्रण। रसना पिओमा इंडस्ट्रीज द्वारा तैयार की जाती है। सरकार ने इसे नॉन ऐल्कोहलिक ड्रिंक मानते हुए इस पर कर लगाया था। जबकि कंपनी का कहना था कि यह केवल एक पाउडर या फिर सॉफ्ट ड्रिंक का मिश्रण है।

कंपनी का कहना था कि रसना केवल पाउडर के रूप में एक फल है या फिर इसे वेजीटेटिव फूड मिश्रण समझा जा सकता है। हालांकि आगे चलकर कुछ संशोधनों के बाद सरकार ने खुद इस बात को माना था। उच्चतम न्यायालय का कहना था कि ट्रिब्यूनल ने तथ्यों पर विचार नहीं किया और न ही बदले हुए कानूनों को ध्यान में रखा। इस वजह से मामले को ट्रिब्यूनल के पास फिर से भेजा गया।

ट्रेड मार्क विवाद

उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला सुनाया था कि ट्रेड मार्क के किसी विवाद में जब तक अधिकारियों की ओर से किसी कंपनी का पंजीयन नहीं किया जाता है तब तक एक कंपनी दूसरे कंपनी के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए कि उसके अधिकारों का हनन किया गया है अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा सकती।

इस मामले के तहत एक कंपनी ने ट्रेड मार्क के लिए आवदेन दिया था और उसके बाद वह ए-वन नाम से केले के चिप्स का व्यापार कर रही थी। इधर एक दूसरी कंपनी इसी उत्पाद को इसी नाम से बेचने लगी। ऐसे में पहली कंपनी ने विरोध जताया कि दूसरी कंपनी उसके ट्रेड मार्क का इस्तेमाल कर रही है।

पहली कंपनी ने इस बारे में मद्रास उच्च न्यायालय में अपील की पर उसके पक्ष में कोई फैसला नहीं आया। तब उसने उच्चतम न्यायालय में अपील की पर यहां भी उसकी अर्जी को यह कह कर खारिज कर दिया गया कि महज ट्रेड मार्क के लिए आवेदन कर देने भी से कंपनी का किसी ट्रेड मार्क पर अधिकार नहीं हो जाता है।

उत्पाद शुल्क

उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते धारीवाल इंडस्ट्रीज की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने मांग की थी कि केंद्र सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया जाए जिसमें यह प्रस्ताव रखा गया था कि पान मसाला और गुटखा बनाने वाली कंपनियों पर उत्पाद शुल्क वसूलते वक्त उत्पादन इकाई की स्थापित क्षमता को ध्यान में रखा जाए न कि वहां कि उत्पादन क्षमता का।

धारीवाल ने बंबई उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसने केंद्रीय उत्पाद कानून की धारा 3ए के तहत जारी तीन अधिसूचनाओं पर रोक लगाने से मना कर दिया था।

First Published - August 11, 2008 | 1:32 AM IST

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