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निर्यात वादे: कुछ पूरे, कुछ अधूरे

Last Updated- December 07, 2022 | 5:05 PM IST

विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि वाणिज्य मंत्री जो कहते हैं उसे पूरा भी करते हैं। पर अभी भी कुछ और कदम उठाए जाने बाकी हैं।


इस साल 11 अप्रैल को सालाना विदेश व्यापार नीति पेश करते हुए वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने कहा था कि फोकस प्रोडक्ट स्कीम (एफपीएस) और फोकस मार्केट स्कीम (एफएमएस) को और बेहतर बनाए जाने की आवश्यकता है।

इनमें सुधार लाने से ऐसे उत्पाद (जो एफपीएस के दायरे में नहीं आते हैं) जिनका सीमित देशों (जो एफएमएस के दायरे में नहीं आते) में बड़े पैमाने पर निर्यात किया जा रहा है, उन्हें उस देश के फोकस प्रोडक्ट के तौर पर अधिक निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

अब डीजीएफटी ने दिनांक 6 अगस्त, 2008 को सार्वजनिक सूचना संख्या 592008 जारी की है जिसमें तंजानिया, नाइजीरिया, केन्या, ब्राजील और यूक्रेन को निर्यात किए जाने वाले 10 उत्पादों के लिए शुल्क में 1.25 फीसदी की छूट दी गई है। इस सूची में साइकिल और उसके पुर्जे जैसे फ्रेम, स्पोक, फोर्क, पहिये का रिम, वॉल्व और कुछ दूसरे उपकरण भी शामिल हैं।

इनमें से ज्यादातर उपकरणों का उत्पादन लुधियाना के आस पास किया जाता है। डीजीएफटी आर एस गुजराल ने भी एक अधिसूचना जारी कर एफपीएस योजना के तहत पांच और उत्पादों को शुल्क में छूट देने की अनुमति दी है। इनमें थ्रेडेड नट, पेंच, बोल्ट, छड़, नॉन थ्रेडेड वॉशर और सिलाई मशीन के कुछ पुर्जे शामिल हैं।

डीजीएफटी ने कैपिटल गुड्स के निपटारे के लिए हैंडबुक्स ऑफ प्रोसीजर्स में भी संशोधन किया है, इनमें निर्यातोन्मुखी इकाइयों की ओर से डोमेस्टिक टैरिफ एरिया में सेकेंड हैंड कैपिटल गुड भी शामिल हैं। उन्होंने साफ किया है कि ईपीसीजी योजना के तहत कुछ खास किस्म की एयरपोर्ट सेवाओं के लिए अगर भुगतान विदेशी मुद्रा या रुपये में किया गया है तो उस पर निर्यात शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए।

उन्होंने मार्बल के आयात के लिए आवेदन देने वाले उम्मीदवारों को निर्देश दिया है कि वे चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) से प्रमाणित एकाउंट स्टेटमेंट की कॉपी को पिछले तीन सालों के बैलेंस शीट के साथ जमा करें, तभी वे लाइसेंस पाने के हकदार होंगे। इधर आंध्र प्रदेश और बंबई उच्च न्यायालयों ने कुछ मामलों में विशेष आर्थिक क्षेत्रों को स्टील उत्पादों के निर्यात पर कस्टम डयूटी वसूलने से रोक लगा दी है।

हालांकि अब भी कई ऐसे वादे हैं जिन्हें कमलनाथ ने पूरा नहीं किया है। उन्होंने एफपीएस के तहत मूल्य वर्द्धित विनिर्मित उत्पादों पर 2.5 फीसदी के अतिरिक्त प्रोत्साहन की घोषणा की है। इसके बारे में अधिसूचना अभी जारी नहीं की गई है जो बाद में अलग से जारी की जाएगी। इस छूट में जिन उत्पादों को शामिल किया जाना है उनकी सूची अभी सौंपी नहीं गई है।

दूरसंचार क्षेत्र के लिए निर्यात संवर्धन परिषद का गठन अभी बाकी है। वाणिज्य मंत्री ने कहा था कि 1 जुलाई, 2008 तक ऐडवांस ऑथराइजेशन स्कीम और एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (ईपीसीजी) को पेश कर दिया जाएगा, पर यह अभी तक लाया नहीं जा सका है। भरोसेमंद ग्राहकों को एक्रीडेटेड क्लाइंट प्रोग्राम के तहत जो सुविधाएं दी गई हैं उन्हें एक्सपोर्ट हाउसेज को मुहैया कराया जाना अभी बाकी है।

अगर इतिहास में झांके तो पता चलता है कि अधिकांश मामलों में कमलनाथ ने अब तक जो कहा है उसे पूरा भी किया है। इस समय भी कारोबार जगत से थोड़ा धैर्य रखे जाने की जरूरत है क्योंकि कमलनाथ ने जो वादे किये हैं उन्हें पूरा करने के पहले वित्त मंत्रालय की मुहर की भी जरूरत होगी।

First Published - August 18, 2008 | 3:22 AM IST

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