अनिल अंबानी की व्यक्तिगत गारंटी के मामले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका के परिणाम पर भारतीय ऋणदाताओं की काफी उत्सुकता से नजर बनी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले पर सुनवाई गुरुवार से शुरू होने जा रही है।
एक बैंकर ने कहा कि अंबानी ने कॉरपोरेट ऋणदाता अधिनियम 2019 के तहत व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने संबंधी एसबीआई की दलील पर आपत्ति जताई है। इस कानून के तहत बैंकों को नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में प्रवर्तकों की व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने की अनुमति दी गई है।
पिछले साल नवंबर तक ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के दायरे में केवल भारतीय कंपनियां आती थीं कि प्रवर्तक अथवा प्रवर्तक समूह। लेकिन नए कानून के लागू होने से प्रवर्तकों द्वारा 1,000 करोड़ रुपये अथवा इससे अधिक के ऋण के लिए दी गई व्यक्तिगत गारंटी को भी इसके दायरे में ले लिया गया है। एक बैंकर ने कहा, ‘अनिल अंबानी का मामला ऐसा पहला मामला होगा जहां आईबीसी के तहत व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने की पहल की गई है और वह मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में है। इससे 40 अन्य शीर्ष डिफॉल्टरों के भाग्य का भी फैसला हो जाएगा जिन्हें 2017 में आईबीसी कानून के प्रभावी होने के बाद एनसीएलटी भेजा गया था।’
एसबीआई ने अपनी याचिका में कहा है कि व्यक्तिगत गारंटी को भुनाए जाने के बाद कई प्रवर्तकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है।