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वैट शुल्क को एचएसएन के साथ रखा जाना फायदेमंद नहीं

Last Updated- December 10, 2022 | 9:09 PM IST

हाल ही में एक सेमिनार के दौरान एक आधिकारिक सूत्र से यह पता चला कि प्रदेशों के वित्त मंत्रियों की अधिकारप्राप्त समिति को वैट शुल्क को हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लैचर (एचएसएन) की तर्ज पर ढाले जाने की अनुमति मिल गई है।
एचएसएन को ब्रुसेल्स ट्रेड नोमेनक्लैचर (बीटीएन) के नाम से भी जाना जाता है। मैं इस स्तंभ में यह बताने जा रहा हूं कि यह एक प्रतिकूल कदम होगा। यह सभी के लिए पूरी तरह प्रतिकूल नीति होगी।
जटिलता सिर्फ इसे लेकर नहीं है कि शुल्क में 4 फीसदी और 12.5 फीसदी के बीच अंतर है बल्कि वे अब स्टेट वैट में हैं। मुख्य बात यह है कि आठ अंकों (जैसे, हल्दी तैयार करने के लिए 3304 99 50) का विस्तृत वर्गीकरण, जो वैट लेन-देन के लिए इनवॉयस पर लिखा जाना जरूरी होगा।
अब हमें यह जानना चाहिए कि एचएसएन क्या है और यह कितना व्यापक है। कस्टम्स में एचएसएन के 98 चैप्टर हैं जो एक मानक टेक्स्टबुक के 730 पृष्ठों में हैं। इसमें इलेबोरेट चैप्टर नोट्स, सेक्शन नोट्स, एक्सक्लूजर और इनक्लूजन एवं सभी शुल्कों की परिभाषाएं शामिल हैं। इसी तरह सेंट्रल एक्साइज में 87 चैप्टर मानक टेक्स्टबुक में 687 पृष्ठों में हैं। प्रत्येक चैप्टर काफी विस्तृत है। सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क दोनों आठ अंकों के हैं।
पहले सीमा शुल्क की बात करते हैं। केमिकल चैप्टर अधिक तकनीकी भाषाओं का इस्तेमाल कर डिवीजनों और सब-डिवीजनों के साथ लगभग 48 पृष्ठों में लिखे गए हैं। इनमें डिस्फास्फोरस पेंटाऑक्साइड, फास्फोरिक एसिड, पोलीफास्फोरिक एसिड, ईथर, ईथर-एल्कोहल, ईथर-फेनोल्स, ईथर-एल्कोहलफेनोल्स, एल्कोहल परऑक्साइड्स, या पेरऑक्साइड, केटोन पेरऑक्साइड्स जैसे तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।
औषधि उत्पादों के रूप में वर्णित दवाओं के साथ चैप्टर निर्धारण 9 पृष्ठों में लिखा गया है। इसी तरह मशीनरी चैप्टर 70 से भी अधिक पृष्ठों में वर्णित हैं। चॉकलेट और बिस्कुट, या पापड़ युक्त चॉकलेट जैसी वस्तुओं को भी आठ डिजिट के साथ पूरे दो चैप्टर में रखा गया है। जब इन सब मुद्दों से कोई लाभ नहीं होता है तो ये जटिल क्यों बने हुए हैं?
जब एक सामान्य शुल्क बेहतर है और व्यापार के लिए यह स्वीकार्य भी है तो उन्हें नया कुछ क्यों दिया जा रहा है जिसे वे पचा भी नहीं सकेंगे। अन्य देशों का उदाहरण लें तो कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ, जापान आदि जैसे देशों में वैट टैरिफ के लिए एचएसएन को अलग रखा गया है। ऐसे में भारत के लिए गलत दिशा में आगे बढ़ने की कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए।
 
एचएसएन मूल रूप से अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए बनाया गया है जहां बड़े निर्माताओं और व्यापारियों के बीच लेन-देन होता है। आंतरिक कारोबार एक अलग स्थिति है। भारत में आंतरिक कारोबार में बड़ी तादाद में वस्तुओं का लेन-देन इनवॉयस से जुड़ा होता है।
खुदरा दुकान में पाउडर, बर्फ, साबुन, फाउंटेन पेन, बॉलप्वाइंट पेन, लिपस्टिक, विभिन्न तरह के बिस्कुट जैसे सामान के सैकड़ों ब्योरे के इनवॉयस तैयार किए जाते हैं।

First Published - March 23, 2009 | 6:13 PM IST

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